आई.जी.एम.सी में फर्श पर रातें गुजार जिंदगी की जंग लड़ रहे ये मरीज

Edited By Punjab Kesari, Updated: 17 Feb, 2018 09:42 AM

nightingale on the floor in igmc these patients fighting the war of life

आई.जी.एम.सी. प्रशासन भले ही मरीजों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा देने को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहा हो लेकिन स्थिति कुछ और बयां कर रही है। यहां पर स्वास्थ्य सुविधा देने की बात की जाए तो प्रशासन के सब दावे खोखले नजर आ रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधा देने की पोल...

शिमला: आई.जी.एम.सी. प्रशासन भले ही मरीजों को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा देने को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहा हो लेकिन स्थिति कुछ और बयां कर रही है। यहां पर स्वास्थ्य सुविधा देने की बात की जाए तो प्रशासन के सब दावे खोखले नजर आ रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधा देने की पोल तब खुलती नजर आई जब वीरवार रात 9:30 बजे पंजाब केसरी की टीम ने आई.जी.एम.सी. का दौरा किया। टीम ने देखा कि मरीजों को सोने के लिए जगह नहीं मिल पा रही थी और आधे से ज्यादा कैंसर पीड़ित मरीज ऐसे थे जोकि ठंड से ठिठुर रहे थे।

आई.जी.एम.सी. में स्वास्थ्य सेवाएं इतनी चरमरा गई
मरीजों से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे करीब 10 दिन से फर्श पर सो कर एक कंबल के सहारे रातें गुजार रहे हैं। वे इलाज करवाने नहीं बल्कि दोगुने बीमार होने आई.जी.एम.सी. आए हैं। हैरत की बात तो यह है कि जब हिमाचल के सबसे बड़े इस अस्पताल में ही इस तरह की हालत है तो बाकी अस्पतालों का क्या होगा। आई.जी.एम.सी. में स्वास्थ्य सेवाएं इतनी चरमरा गई हैं कि डाक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज करना तो दूर की बात है उनके लिए बैड तक की सुविधा का प्रावधान नहीं है। यहां पर 20-30 कैंसर पीड़ित मरीज तो ऐसे हैं जिन्हें आई.जी.एम.सी. में 3-4 महीने इलाज करवाते हो गए हैं। मरीजों के साथ आए तीमारदार कभी मरीज को घर तो कभी अस्पताल ले आते हैं। जब अस्पताल में होते हैं तो उन्हें अस्पताल में ठहरने तक की सुविधा नहीं मिल पाती है।

मरीजों को इलाज करवाना मुश्किल 
कैंसर पीड़ित मरीज बीते 12-15 दिनों से फर्श पर सो कर रातें गुजार रहे हैं और तड़प-तड़प कर जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। तीमारदारों का कहना है कि जब डॉक्टर से मरीज को भर्ती करने को लेकर बात की जाती है तो उनका कहना है कि हमारे पास बैड की सुविधा नहीं है। आप अपने मरीज को अस्पताल से ले जा सकते हैं। इस स्थिति में गरीब मरीज व तीमारदार न तो होटल में कमरा ले सकते हैं और न ही उन्हें अस्पताल में बैड दिया जाता है। मजबूरन फिर उन्हें अस्पताल के बहार फर्श पर रात गुजारनी पड़ती है। ऐसे में कैंसर पीड़ित मरीजों को इलाज करवाना मुश्किल हो गया है।

एक्स-रे मशीन पड़ी है खराब 
आई.जी.एम.सी. में एक्स-रे मशीन खराब पड़ी है। अब एक ही एक्स-रे मशीन से एक्स-रे करवाए जा रहे हैं। आपातकालीन में भी सारे मरीज एक मशीन के सहारे हैं। आई.जी.एम.सी. में जहां सी.टी. स्कैन मशीन खराब ही रहती है, वहीं अब एक्स-रे मशीन भी हांफ गई है। ऐसे में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रात व दिन को एक ही मशीन से एक्स-रे करवाए जा रहे हैं।

स्टे्रचर पर लेटाए जा रहे मरीज 
आई.जी.एम.सी. में बैड की तो इतनी दिक्कत हो गई है कि मरीज स्टे्रचर पर लेटाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर डाक्टर के पास चैकअप करवाने के लिए मरीजों के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मिल पाता है। ऐसे में मरीजों को तीमारदार पीठ पर उठाकर चैकअप करवाने ले जाते हैं। जितने भी स्टे्रचर हैं उन्हें बैड के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। अब मरीजों को ले जाने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं मिल पा रहे हैं।

दवाइयों का प्रावधान नहीं 
आई.जी.एम.सी. में नि:शुल्क व सस्ती दर वाली दवा न मिलने के कारण कैंसर से पीड़ित वरिष्ठ नागरिकों का जीवन नरक हो गया है। वरिष्ठ नागरिक सस्ती व नि:शुल्क दवा न मिलने के कारण इधर-उधर भटक रहे हैं। ऐसे में वे डाक्टर द्वारा लिखी गई महंगी दवा खरीदे बिना ही वापस घर लौट रहे हैं। यहां तक कि कैंसर से पीड़ित वरिष्ठ नागरिकों से ब्लड टैस्ट इत्यादि के लिए भी पैसे वसूले जा रहे हैं। वहीं आई.जी.एम.सी. के जैनरिक औषधालय में कैंसर पीड़ितों के लिए कोई भी दवा उपलब्ध नहीं है। 
 

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