Edited By Updated: 28 Apr, 2017 12:18 AM
वीरवार को मनरेगा मजदूरों ने सीटू के बैनर तले केन्द्र सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की।
कुल्लू: वीरवार को मनरेगा मजदूरों ने सीटू के बैनर तले केन्द्र सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की। मनरेगा मजदूरों द्वारा सरवरी से डी.सी. कार्यालय तक रैली का आयोजन किया गया। रैली जब डी.सी. कार्यालय के बाहर पहुंची तो रैली ने धरने का रूप ले लिया। इस दौरान मनरेगा मजदूरों के धरना-प्रदर्शन को सीटू के जिला अध्यक्ष भूप सिंह भंडारी, जिला सचिव राजेश ठाकुर और किसान मजदूर नेता होतम सौंखला ने संबोधित किया।
मोदी सरकार ने मनरेगा बजट में की कटौती
उन्होंने कहा कि यू.पी.ए. सरकार अल्पमत में थी और वामपंथ के 61 सांसदों के समर्थन से चल रही थी। उस दौरान वर्ष 2006 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को बनाकर लागू किया गया था। इसके तहत सभी जॉब कार्ड धारकों को काम मांगने पर 14 दिन के भीतर काम देना पड़ता है अगर काम नहीं दिया गया तो बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान है लेकिन वर्ष 2014 में जबसे मोदी की भाजपा सरकार सत्ता में आई है तब से मनरेगा के बजट में बड़े पैमाने पर कटौती की गई है, जिसका असर मनरेगा मजदूरों पर पड़ रहा है तथा उनको मजदूरी का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
लाभ से वंचित किए मनरेगा मजदूर
उन्होंने कहा कि हाल ही में केन्द्र सरकार ने ऐसी अधिसूचना जारी कर दी है जिससे मजदूरों के हकों को छीनने का प्रयास किया गया है। सरकार द्वारा नई अधिसूचना जारी की गई है जिसके तहत मनरेगा मजदूरों को 50 दिन काम पूरा करने पर श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकृत करवाया जाता था जिसे अब बढ़ा कर 90 दिन कर दिया गया है। इस अधिसूचना से स्पष्ट है कि जो मनरेगा मजदूरों को लाभ मिलते थे उन्हें उनसे वंचित कर दिया गया है।
मजदूर विरोधी है भाजपा और वीरभद्र सरकार
उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार द्वारा इस फैसले का विरोध नहीं किया गया, जिससे स्पष्ट है कि केन्द्र की भाजपा और प्रदेश की वीरभद्र सरकार मजदूर विरोधी है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मजदूर विरोधी फैसले वापस नहीं लिए गए तो इस आंदोलन को जन आंदोलन बनाने पर विवश होना पड़ेगा। इस मौके पर सीटू नेताओं द्वारा डी.सी. के माध्यम से प्रधानमंत्री को अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन भी सौंपा गया।