यहां नमक की बोरी में आई थी मां बाला सुंदरी, रोचक है कहानी

Edited By Punjab Kesari, Updated: 19 Mar, 2018 05:09 PM

maa bala sundari

महामाई त्रिपुर बाला सुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर उत्तरी भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। जहां हर साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यह हिमाचल के जिला सिरमौर के मुख्यालय नाहन से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की खास बात यह है...

नाहन: महामाई त्रिपुर बाला सुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर उत्तरी भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। जहां हर साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यह हिमाचल के जिला सिरमौर के मुख्यालय नाहन से लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां मां बालासुंदरी नमक की बोरी में आई थी। चैत्र एवं अश्वनी मास में पड़ने वाले नवरात्र के अवसर पर मंदिर में विशेष मेले का आयोजन होता है। इस साल चैत्र मास में आयोजित होने वाला नवरात्र मेले 18 मार्च से 31 मार्च, 2018 तक माता बाला सुन्दरी मंदिर त्रिलोकपुर में पारंपरिक ढंग से मनाए जा रहे हैं। मंदिर में सुबह 5 बजे माता की विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है। नाहन से लगभग 23 किलोमीटर दूरी पर स्थित माहामाई त्रिपुर बाला सुंदरी का लगभग साढ़े 300 वर्ष पुराना मंदिर धार्मिक तीर्थस्थल एवं पर्यटन की दृष्टि से विशेष स्थान रखता है। 
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नमक की बोरी में त्रिलोकपुर आई थी मां 
लोग हजारों की संख्या में पंजाब, हरियाणा, चण्डीगढ़, उत्तरप्रदेश से टोलियों में मां भगवती की भेंट गाते हुए आते हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस पावन स्थली पर माता साक्षात रूप में विराजमान है और यहां पर मांगी गई मनोकामना जरूर पूरी होती है। जनश्रुति के अनुसार 1573 में महामाई उत्तरप्रदेश के जिला सहारनपुर से मुज्जफरनगर के देवबन्द स्थान से नमक की बोरी में त्रिलोकपुर आई थी। कहा जाता है कि लाला रामदास जो सदियों पहले त्रिलोकपुर में नमक का व्यापार करते थे, उनके नमक की बोरी में माता उनके साथ यहां आई थी। उनकी दुकान त्रिलोकपुर में पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ करती थी। उन्होंने देवबन्द से लाया तमाम नमक दुकान में डाल दिया और बेचते गए मगर नमक खत्म होने में नहीं आया। 
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पीपल के वृक्ष के नीचे पिण्डी रूप में स्थापित हो गई थी मां 
लाला जी उस पीपल के वृक्ष को हर रोज सुबह जल देकर उसकी पूजा करते थे। उन्होंने नमक बेचकर बहुत पैसा कमाया। लेकिन वह एक दिन चिन्ता में पड़ गए कि नमक खत्म क्यों नहीं हो रहा। मां ने खुश होकर रात को लाला जी के सपने में आकर दर्शन दिए और कहा कि मैं तुम्हारे भक्तिभाव से अति खुश हूं, मैं यहां पीपल के वृक्ष के नीचे पिण्डी रूप में स्थापित हो गई हूं और तुम मेरा यहां पर भवन बनावाओ, लाला जी को अब भवन निर्माण की चिन्ता सताने लगी। उसने फिर माता की अराधना की और उनसे कहा कि इतने बड़े भवन निमार्ण के लिए मेरे पास सुविधाओं व पैसे की कमी है। आपसे एक विनती है कि आप सिरमौर के महाराजा को भवन निर्माण का आदेश दे। मां ने अपने भक्त की पुकार सुन ली और उस समय सिरमौर के राजा प्रदीप प्रकाश को सोते समय स्वप्र में दर्शन देकर भवन निर्माण का आदेश दिया। 
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मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम 
महाराजा प्रदीप प्रकाश ने तुरन्त जयपुर से कारीगरों को बुलाकर भवन निमार्ण का कार्य आरंभ करवाकर सन् 1630 में पूरा किया। इस सिद्ध पीठ में विकास कार्यों को करवाने के लिए मंदिर न्यास समिति का गठन किया गया, जिसके द्वारा यात्रियों की सुविधा के लिए तथा यहां पर अन्य जनहित के कार्य करवाए जा रहे हैं। मंदिर में आग्नेय, धारधार हथियार उठाने तथा विस्फोटक सामग्री को लाने ले जाने और नारियल चढ़ाने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया गया। मेले में सफाई व्यवस्था के लिए व्यापक प्रबन्ध किए गए हैं। इस बारे में डीसी सिरमौर ललित जैन ने कहा कि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। हर तरह की सुविधा श्रद्धालुओं का मुहैया करवाई जा रही है। 
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