कोटखाई केस: कब-कब क्या हुआ, एक क्लिक में पढ़िए पूरा मामला

Edited By Punjab Kesari, Updated: 30 Aug, 2017 10:35 AM

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हिमाचल के शिमला जिले के कोर्टखाई में गुड़िया से हुए गैंगरेप और मर्डर केस में कब-कब क्या हुआ, इस‌की पूरी जानकारी पढ़िए।

शिमला: हिमाचल के शिमला जिले के कोर्टखाई में गुड़िया से हुए गैंगरेप और मर्डर केस में कब-कब क्या हुआ, इस‌की पूरी जानकारी पढ़िए।
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यह था मामला
गुड़िया बीते 4 जुलाई को अपनी एक सहेली के साथ दोपहर बाद करीब साढ़े 4 बजे महासू स्कूल से घर के लिए निकली। बीच रास्ते में उसकी सहेली ने अपने घर के लिए दूसरा रास्ता पकड़ लिया और गुडिय़ा अकेले ही घर की तरफ जाने लगी। पुलिस जांच में सामने आए तथ्यों के अनुसार बीच रास्ते में गुड़िया को पिकअप चालक राजेंद्र उर्फ राजू मिला। राजू से परिचित होने के चलते गुड़िया भी उसके कहने पर वाहन में सवार हो गई। वाहन में उस समय सुभाष बिष्ठ, सूरत सिंह, लोकराज और दीपक बैठे थे। रास्ते में उन्होंने वाहन से कुछ सामान भी उतारा। अब तक की पुलिस जांच के अनुसार इसके बाद कुछ आगे जाकर सुनसान जगह देखकर राजू व अन्य ने गुड़िया को गाड़ी से जबरन घसीटा और जंगल की तरफ ले गए। इसके बाद आरोपियों ने उसके साथ दुराचार किया और उसका मुंह दबाकर हत्या कर दी तथा शव को साथ में एक गड्ढे में फैंक दिया। गुड़िया का भाई 4 जुलाई को स्कूल से अपने मामा के घर गया था। ऐसे में गुडिय़ा अकेले ही घर के लिए निकली जबकि उसके परिजनों ने सोचा कि वह भी भाई के साथ मामा के घर गई होगी। ऐसे में 5 जुलाई को जब गुड़िया का भाई अपने घर पहुंचा तो उसने अपनी बहन के बारे में परिजनों से पूछा जिसके बाद परिजन हक्के-बक्के रह गए तथा उन्होंने कहा कि गुड़िया तो कल से घर ही नहीं पहुंची है। इसके बाद रात को ही गुड़िया की तलाश शुरू हो गई लेकिन उस रात कोई सुराग नहीं मिला। 


जुलाई माह की रिपोर्ट 
6 जुलाई: सुबह से ही गुड़िया की तलाश पूरे क्षेत्र में शुरू हो गई थी। इस बीच गुड़िया के मामा को हलाइला गांव के निकट 2 सड़कों के लिंक से नीचे एक गड्डे में गुड़िया का शव दिखाई दिया। जिस लिंक के साथ गुड़िया का शव मिला, वहां से एक सड़क दांदी घाटी को जाती है तो एक बागवान के बगीचे को। शव मिलने की सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और जांच-पड़ताल शुरू हुई। 


7 जुलाई: गुड़िया का पोस्टमार्टम आई.जी.एम.सी. अस्पताल में करवाया गया। गुड़िया के साथ हुए जघन्य अपराध को लेकर लोगों का गुस्सा बढ़ने लगा।


8 जुलाई: प्रदेश पुलिस महानिदेशक सोमेश गोयल के निर्देश पर एस.पी. शिमला कोटखाई को रवाना हुए। स्थानीय जनता धरने पर उतरी और राज्यपाल से सी.बी.आई. जांच की मांग। 


9 जुलाई: कोटखाई के बाद जिलाभर में आरोपियों की गिरफ्तारियों के लिए धरने-प्रदर्शन हुए। 

10 जुलाई: मामले की गंभीरता को देख सरकार ने आई.जी. साऊथ रेंज की अध्यक्षता में एस.आई.टी. गठित की।


11 जुलाई: शक के आधार पर 4 व्यक्तियों से पूछताछ व एस.आई.टी. की टीम के साथ आई.जी. ने घटनास्थल का दौरा किया।


12 जुलाई: सोशल मीडिया सहित सी.एम. की फेसबुक पर संदिग्ध  युवकों की फोटो वायरल, पुलिस का कोई भी फोटो जारी करने से इंकार। हाईकोर्ट ने स्वत: लिया संज्ञान। एक आरोपी आशू चौहान गिरफ्तार।


13 जुलाई: पुलिस महानिदेशक ने पत्रकार वार्ता कर मामला सुलझाने का किया दावा, 5 आरोपियों की गिरफ्तारी, नाम और पते किए सार्वजनिक। पुलिस का दावा आशु को थी जानकारी।


14 जुलाई: आक्रोशित जनता ने ठियोग थाने के बाहर किया चक्का जाम, एस.पी.-डी.एस.पी. से धक्का-मुक्की। मुख्यमंत्री ने जनाक्रोश को देख सी.बी.आई. जांच के दिए निर्देश।


15 जुलाई: सी.एम. ने प्रधानमंत्री को सी.बी.आई. जांच के लिए लिखा पत्र, वायरल हुए फोटो में शामिल 2 संदिग्ध युवकों का पुलिस ने मैडीकल करवाया।


16 जुलाई: हलाइला जंगल में गुडिय़ा की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ, जगह-जगह प्रदर्शन उग्र। 

17 जुलाई: हिमाचल के साथ-साथ दिल्ली जंतर-मंतर में कैंडल मार्च, एक संदिग्ध ने सी.एम. को लिखा पत्र, भाजपा ने सरकार पर लगाया जांच में लीपापोती का आरोप, राजभवन जाकर भाजपा ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन। 


18 जुलाई:  गुम्मा में हजारों लोगों ने किया धरना-प्रदर्शन-चक्का जाम। 


19 जुलाई: कोटखाई पुलिस स्टेशन के लॉकअप में एक आरोपी सूरज की हत्या, पिकअप चालक राजू पर हत्या का मामला दर्ज। जनता का गुस्सा फूटा, कोटखाई पुलिस और थाने पर पथराव, पुलिस ने की हवाई फायरिंग। माहौल तनावपूर्ण। हाईकोर्ट में गुड़िया केस की सुनवाई। कोटखाई थाने के एस.एच.ओ. व मुंशी सस्पैंड।


20 जुलाई: हाईकोर्ट ने सी.बी.आई. को सौंपा जांच का जिम्मा।


21 जुलाई: गुड़िया को न्याय दिलाने के लिए 22 संगठन हुए एकजुट, गुड़िया न्याय मंच का किया गठन। मृतक सूरज की पत्नी को सुरक्षा प्रदान, कांग्रेस ने किया मौन प्रदर्शन।


22 जुलाई: सी.बी.आई. ने दिल्ली में किए 2 अलग-अलग मामले दर्ज, एस.आई.टी. गठित, पुलिस ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सौंपी रिपोर्ट, गुड़िया के स्कूल को सरकार ने अपग्रेड किया।


23 जुलाई: शिमला पहुंची सी.बी.आई. की टीम।


24 जुलाई: सी.बी.आई. टीम की कोटखाई में दस्तक, शिमला में बनाया अस्थायी कैंप।


25 जुलाई: सी.बी.आई. ने पुलिस से हिरासत में लिए सभी आरोपी, सी.बी.आई. ने जारी किए सूचना देने के लिए 2 मोबाइल नंबर।


26 जुलाई: शिमला में आरोपियों से सी.बी.आई. ने की पूछताछ, कड़ी सुरक्षा के बीच आरोपी सूरज के शव का अंतिम संस्कार।27 जुलाई: गुड़िया के परिजनों से मिली सी.बी.आई. की टीम।


29 जुलाई: राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू ने पुलिस कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल।


30 जुलाई: सी.बी.आई. ने एक बागवान से की पूछताछ


अगस्त माह की रिपोर्ट 
2 अगस्त: सी.बी.आई. ने कोर्ट में पेश की स्टेट्स रिपोर्ट, पुलिस अधिकारियों से पूछताछ। 


7 अगस्त: गुड़िया के रिश्तेदारों ने सी.बी.आई. अधिकारियों को बांधी राखियां।

8 अगस्त: सी.बी.आई. ने फोरैंसिक साइंस निदेशालय से मांगी रिपोर्ट, 2 संदिग्धों का करवाया मैडीकल।


9 अगस्त: गुड़िया को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर उतरे संगठन, सचिवालय के बाहर 3 घंटे प्रदर्शन।


10 अगस्त: पुलिस लॉकअप में हुई एक आरोपी की हत्या में संतरी द्वारा राज खुलने की बात सामने आई।


13 अगस्त: हलाइला के लोगों से सी.बी.आई. ने की पूछताछ।


14 अगस्त: सी.बी.आई. ने सूरज हत्या मामले की जांच रिपोर्ट मुख्यालय भेजी।


16 अगस्त: सी.बी.आई. ने एस.आई.टी. के 3 पुलिस अधिकारियों से की पूछताछ।


17 अगस्त: सी.बी.आई. ने हाईकोर्ट में पेश की जांच रिपोर्ट। 


18 अगस्त: सी.बी.आई. ने बदला अपना बेस कैंप।


19 अगस्त: सी.बी.आई. की टीम फिर कोटखाई रवाना।


21 अगस्त: सी.बी.आई. की टीम ने 2 संदिग्धों से की पूछताछ।


23 अगस्त: हिमाचल प्रदेश विधानसभा का घेराव, पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प।


24 अगस्त: सी.बी.आई. ने जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की, कहा कि सरकार नहीं कर रही जांच में सहयोग, आरोपी आशीष चौहान की जमानत याचिका पर सुनवाई टली।


26 अगस्त: सभी पहलुओं को देखते हुए कोटखाई थाने के संतरी की सुरक्षा बढ़ाई गई, आरोपी आशीष चौहान ने तीसरी बार लगाई जमानत याचिका।


29 अगस्त: सी.आई.डी. ने गुडिय़ा केस में गठित पुलिस एस.आई.टी. के आई.जी. सहित 8 अधिकारियों-कर्मचारियों को गिरफ्तार किया।


संतरी को अब और बढ़ा जान का खतरा
संतरी दिनेश के भाई सुरेश ने  कहा कि सी.बी.आई. ने सही दिशा में जांच को आगे बढ़ाया है। उन्होंने पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी पर खुशी जाहिर की। उन्होंने बताया कि अब संतरी को जान का खतरा और बढ़ गया है। लिहाजा उन्हें अवकाश पर घर भेजा जाए। उन्होंने सरकार और पुलिस से उसकी सुरक्षा और कड़ी करने को कहा है। संतरी सी.बी.आई. की जांच में अहम कड़ी है। जांच एजैंसी उसे सरकारी गवाह बनाने की तैयारी में हैं। इसी संतरी की बदौलत पुलिस अधिकारी गिरफ्त में आए हैं।


सी.बी.आई. को नहीं कर रहे थे सहयोग
पुलिस की एस.आई.टी. में शामिल रहे अधिकारी सी.बी.आई. को सहयोग नहीं कर रहे थे। इसके लिए सी.बी.आई. को हाईकोर्ट में मौखिक शिकायत करनी पड़ी थी। बाद में इनको नोटिस देने की नौबत आई। नोटिस के बाद ही यह जांच में शामिल हुए। जांच में शामिल होने के कुछ समय बाद ही इनमें से दो अधिकारियों की गिरफ्तारी हो गई। 


पुलिस और सरकार की साख पर सवाल
सी.बी.आई. के एक्शन से सरकार और पुलिस दोनों की साख पर सवाल उठ रहे हैं। आई.जी. व डी.एस.पी. जैसे अधिकारियों की गिरफ्तारी से पुलिस की छवि को और गहरा धक्का पहुंचा है। सूरज केस के बाद अब सी.बी.आई. जल्द ही गुड़िया केस का सच भी सामने लाएगी। गुडिय़ा को न्याय मिलने के आसार बढ़ गए हैं। जांच एजैंसी दूसरी घटना से पहली वारदात की गुत्थी सुलझाएगी। लोगों का शक सही निकला। सी.बी.आई. जांच के अनुसार आरोपी की राजू ने हत्या नहीं की थी बल्कि यह पुलिस वालों की ही करतूत रही। पूछताछ के दौरान उसे इतना मारा गया कि उसे अपनी जान से ही हाथ धोना पड़ा। उधर, ठियोग के जिस डी.एस.पी. मनोज जोशी पर सरकार पूरा भरोसा करती रही, उसे सरकार ने ट्रांसफर तक नहीं किया। अब वह भी आरोपी हो गया है। 2 अधिकारियों को छोड़ गिरफ्तार किए सभी पुलिस वाले कोटखाई थाने में ही तैनात रहे हैं। 

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