Edited By Punjab Kesari, Updated: 23 Jul, 2017 04:11 PM
कोटखाई गैंगरेप मर्डर केस में घिरी सरकार नए विवाद में फंसती दिख रही है।
शिमला (विकास शर्मा): कोटखाई गैंगरेप मर्डर केस में घिरी सरकार नए विवाद में फंसती दिख रही है। डैमेज कंट्रोल में जुटी सरकार ने राजकीय मिडल स्कूल धार तुरपुनू (ताली) को अपग्रेड करने का ऐलान कर दिया, साथ ही स्कूल का नाम पीड़िता के नाम पर रखने की भी घोषणा कर दी। सरकार ने प्रैस रिलीज जारी कर दी और उसमें साफ-साफ पीड़ित लड़की का असली नाम लिखकर पहचान भी सबके सामने ला दी। बस विवाद वहीं से शुरू हो गया। धूमल ने भी इस पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक पीड़िता का नाम उजागर करना गैर कानूनी है। उनका कहना था कि गुडिय़ा के असली नाम से स्कूल का नामकरण नहीं हो सकता है।
पीड़ित का नाम और उसकी पहचान उजागर करना दंडनीय अपराध
कानून और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक पीड़ित का नाम और उसकी पहचान उजागर करना दंडनीय अपराध है। सुप्रीम कोर्ट अपने कई फैसलों में ये बात साफ कर चुका है कि रेप पीड़ित लड़की की पहचान जाहिर नहीं की जा सकती। आईपीसी की धारा 228 ए और पोस्को एक्ट की धारा 23 में साफ तौर पर लिखा है कि बलात्कार पीड़ित लड़की का नाम और उसकी पहचान जाहिर नहीं की जा सकती। कोई कानून का उल्लघंन करता है तो सज़ा का भी प्रावधान है। अगर कोर्ट अपने फैसले में पीड़ित का नाम लिखता है तभी उसका नाम प्रकाशित किया जा सकता है। सरकार ने गुड़िया के नाम पर स्कूल का नाम रखकर लोगों का गुस्सा ठंडा करने की कोशिश की थी मगर यहां दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है।