‘‘जज व वकील फाइलों से नहीं मानव जीवन के साथ करते हैं डील’’

Edited By Punjab Kesari, Updated: 24 Jan, 2018 10:47 PM

judge and lawyer not dealing with files dealing with human life

बिलासपुर जिला न्यायालय के बार रूम में अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने कहा कि न्याय व फैसला दोनों अलग-अलग विषय वस्तु हैं।

बिलासपुर: बिलासपुर जिला न्यायालय के बार रूम में अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने कहा कि न्याय व फैसला दोनों अलग-अलग विषय वस्तु हैं। एक न्यायाधीश के द्वारा सुनाया गया फैसला न्याय करने वाला हो इसमें जितनी अधिक जिम्मेदारी एक न्यायाधीश की है उतनी ही अधिक जिम्मेदारी अधिवक्ताओं की भी है। अधिवक्ता केस पर जितनी अधिक मेहनत करेंगे उतना ही न्यायसंगत फैसला न्यायाधीश सुना पाएगा। उन्होंने कहा कि जज व वकीलों को यह अवश्य याद रखना चाहिए कि वे केवल फाइलों से नहीं अपितु मानव जीवन के साथ डील करते हैं। उन्होंने कहा हिंदुस्तान का सम्मान, संविधान का सम्मान सबका मुख्य धर्म है इस पर कोई प्रश्न या कोई बहस नहीं होनी चाहिए। 

न्यायाधीशों व अधिवक्ताओं के बीच हो बेहतर तालमेल 
उन्होंने अधिवक्ताओं व न्यायाधीशों के आपसी तालमेल पर भी जोर देते हुए कहा कि भारतीय संविधान में न्यायपालिका को लोकतंत्र का तीसरा स्तंभ माना गया है यह तीसरा स्तंभ तभी मजबूत रहेगा जब न्यायाधीशों व अधिवक्ताओं के बीच बेहतर तालमेल होगा। उन्होंने यह भी आह्वान किया कि न्यायाधीश व अधिवक्ता अपने पास आए केसों को दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता कर निपटाने की दिशा में कार्य करें। इस प्रकार निपटे मामलों में दोनों पक्षों को आत्म संतुष्टि रहती है व समाज में सद्भावना का विकास होता है तथा केस जल्दी भी निपट जाते हैं। 

न्यायाधीश का जीवन कार्यालय व बाहर एक जैसा 
एक न्यायाधीश के जीवन के तरीके पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि एक न्यायाधीश का जीवन कार्यालय में व कार्यालय के बाहर एक जैसा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश व अधिवक्ता दोनों ही न्याय को स्थापित करने की दिशा में कार्य करते हैं तथा कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता। आवश्यकता इस बात की है कि सभी ईश्वर द्वारा दिए गए अपने कार्य को पूरी ईमानदारी व लोगों के प्रति जवाबदेही के रूप में करें। उन्होंने अधिवक्ताओं से आह्वान किया अपने सीखने की भूख को खत्म न होने दें क्योंकि जीवन में प्रकृति से, आसपास से, कुछ छोटों से तो कुछ बड़ों से प्रतिदिन कुछ न कुछ सीखने को मिलता ही रहता है। जहां सीखने की भूख खत्म हो जाती है वहां तरक्की रुक जाती है। 

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