नौकरी की आस में बूढ़े होने लगे बेरोजगार लाइब्रेरियन

Edited By Punjab Kesari, Updated: 19 Sep, 2017 01:13 PM

job excursion in getting old engaged unemployed librarian

बाहरी राज्यों से लाइब्रेरी साइंस में डिप्लोमा व डिग्री कर चुके बेरोजगार लाइब्रेरियन निराश हैं।

हमीरपुर: बाहरी राज्यों से लाइब्रेरी साइंस में डिप्लोमा व डिग्री कर चुके बेरोजगार लाइब्रेरियन निराश हैं। हिमाचल में इनका आंकड़ा करीब 10 हजार है मगर वर्षों से इनके पद नहीं भरे जा रहे हैं। हैरत है कि प्रदेश की कोई यूनिवर्सिटी भी इस विषय में डिग्री या डिप्लोमा नहीं करवाती है, ऐसे में बाहरी राज्यों से इस विषय में डिग्री या डिप्लोमा कर चुके बेरोजगार अब सड़कों की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। बेरोजगारों का कहना है कि न तो उनके पद भरे जा रहे हैं और न ही लाइब्रेरी एक्ट बनाया जा रहा है ताकि उनका भविष्य सुरक्षित बन सके। इस वर्ग के बेरोजगार ऐसे भी हैं जोकि नौकरी का इंतजार करते-करते अब 58 साल की आयु भी पार करने वाले हैं जबकि प्रदेश में सरकारी नौकरी के लिए 45 साल तक की आयु सीमा है। 


इस वर्ग के बेरोजगारों के भविष्य को देखते हुए कोई कारगर नीति बनाई जाए
बेरोजगारों का कहना है कि उन्होंने भारी-भरकम फीस देकर बाहरी राज्यों की युनिवर्सिटी से इसी आस में डिग्री व डिप्लोमा किए थे क्योंकि इस वर्ग के लिए सरकारी स्कूलों में रिक्त पद बहुत ज्यादा हैं मगर इस वर्ग के पदों को भरने में प्रदेश सरकार बिलकुल भी रूचि नहीं दिखा रही है। बेरोजगारों कुमारी मिनाक्षी, सुनील कुमार, कल्पना, अनु कुमारी, प्रियंका, राज, अंकुर व सौरभ आदि का कहना है कि सरकारी स्कूलों में वर्तमान में सैंकड़ों पद सहायक लाइब्रेरियन के खाली पड़े हैं मगर उन्हें नहीं भरा जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस वर्ग के बेरोजगारों के भविष्य को देखते हुए कोई कारगर नीति बनाई जाए।


लाइब्रेरी एक्ट बनाने की मांग
बेरोजगार लाइब्रेरियनों का कहना है कि प्रदेश में लाइब्रेरी एक्ट जब तक नहीं बनाया जाता है, तब तक इस वर्ग की अनदेखी ही होगी। अगर एक्ट का गठन किया जाता है तो सारे पद भरना जरूरी होगा तथा बजट का भी प्रावधान होगा। इसके अलावा लाइब्रेरी में कम्प्यूटर सुविधा के साथ उन्हें इंटरनैट सेवा से भी जोड़ा जाएगा। इसी तरह लाइब्रेरी के लिए बड़ा हाल भी होना चाहिए। 


लाइब्रेरियन का पद भरने पर ही मिलती है निजी स्कूलों को मान्यता
बेरोजगार लाइब्रेरियनों का कहना है कि निजी स्कूलों को मान्यता तभी दी जाती है, जब लाइब्रेरियन का पद निजी स्कूलों में भरा हो तथा अन्य आधारभूत सुविधाएं पूरी हों मगर अधिकतर सरकारी स्कूलों में न तो इस विषय संबंधी आधारभूत ढांचा है और न ही इस पद को भरा गया है, इसके बावजूद सरकारी स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। 

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