रोचक है संतानदात्री मां सिमसा का इतिहास, ऐसे हुई थी मंदिर की स्थापना

Edited By Punjab Kesari, Updated: 16 Mar, 2018 11:29 PM

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लडभड़ोल क्षेत्र की प्रसिद्ध संतानदात्री मां सिमसा का मंदिर मंडी जिला की तहसील मुख्यालय लडभड़ोल से मात्र 9 किलोमीटर दूरी पर सिमस गांव में स्थित है, जो बैजनाथ मंदिर से 32 किलोमीटर दूर है।

लडभड़ोल: लडभड़ोल क्षेत्र की प्रसिद्ध संतानदात्री मां सिमसा का मंदिर मंडी जिला की तहसील मुख्यालय लडभड़ोल से मात्र 9 किलोमीटर दूरी पर सिमस गांव में स्थित है, जो बैजनाथ मंदिर से 32 किलोमीटर दूर है। माता सिमसा का मंदिर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां से दूर-दूर तक सुंदर नजारा देखने को मिलता है। बताया जाता है कि इस गांव में टोभा सिंह नामक व्यक्ति रहता था। महाशिवरात्रि वाले दिन वह तरड़ी (कंदमूल) खोदने के लिए अपने घर से करीब 3 किलोमीटर दूर नागण नामक स्थान पर गया। उसकी पहली चोट जमीन पर मारने से दूध बाहर निकल आया। यह देखकर वह बहुत प्रसन्न हुआ। उसने सोचा कि तरड़ी (कंदमूल)अच्छी है और अधिक मात्रा में निकलेगी। जब उसने दूसरी चोट मारी तो जमीन से पानी की धारा निकलने लगी और तीसरी चोट मारने पर जमीन से खून निकलने लग पड़ा, जिससे वह घबराया हुआ घर वापस आ गया। 

माता ने रात को स्वप्न में आकर दिए दर्शन
रात को उसे स्वप्न में माता ने दर्शन दिए और कहा कि जिस बात से तू घबराया है, मंै उसी को हल करने आई हूं। तू प्रात: नहाकर जहां खुदाई कर रहा था वहीं पर जाना। वहां पर खुदाई करने से तुझे एक मूर्ति मिलेगी। उस मूर्ति को पालकी में सजाकर धूमधाम से लाना और जहां पर वह मूर्ति भारी लगने लगे वहीं पर उसकी स्थापना कर मंदिर बनवाना। प्रात: उठते ही यह किस्सा उसने अपने भाइयों को सुनाया। मां के आदेशानुसार दोबारा खुदाई करने पर उन्हें देवी की मूर्ति मिली, जिसकी लंबाई 7 वर्ष की कन्या के बराबर थी। यह मूर्ति आज भी मंदिर में मौजूद है। खुदाई के समय की 3 चोटें आज भी देखी जा सकती हैं।

स्वप्न में संतानरूपी वरदान बांटती हैं माता 
मान्यता के अनुसार जिन भक्तों के यहां संतान नहीं होती है, वे नवरात्र में माता सिमसा के दर्शनों के लिए आते हैं। स्त्रियां जिन्हें संतान की चाह होती है, वे मंदिर के प्रांगण में अपना बिछौना बिछाकर सो जाती हैं। यह मां का चमत्कार है कि जब औरतें सो रही होती हैं तो नींद में मां सिमसा पूरे शृंगार में उन्हें दर्शन देकर आज्ञा अनुसार स्वप्न में फल बांटती हैं। जिस स्त्री को जैसा फल मिलता है, उसे वैसी ही संतान प्राप्त होती है। मान्यता के अनुसार एक बार सपना होने के बाद जो महिला फिर से सपने के लिए अपना बिछौना बिछाकर सो जाती है, उसे कुछ ही देर बाद चींटियों के काटने जैसा अहसास होने लगता है। यही नही, उसके शरीर पर लाल रंग के दाग भी उभरने लगते हैं। 

धूमधाम से मनाया जाएगा चैत्र नवरात्र महोत्सव 
यहां हर वर्ष चैत्र व शरद नवरात्र के दौरान मेले लगते हैं और मेला कमेटी व युवक मंडल सिमस की ओर से भंडारे लगाए जाते हैं। इस साल भी यहां चैत्र नवरात्र महोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। बता दें कि इस बार चैत्र मास नवरात्र का आगाज 18 मार्च से हो रहा है, जिसके लिए मेला कमेटी व पुजारियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।

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