मकबरे से बाहर आएगी बौद्ध लामा की सैंकड़ों साल पुरानी Mummy

Edited By Punjab Kesari, Updated: 01 Sep, 2017 11:21 PM

hundreds of years old buddhist lama  s mummy will come out of the tomb

स्पीति की पिन घाटी के सगनम गांव में कई वर्षों से मकबरे में बंद सुरक्षित मानव देह (बौद्ध लामा की मम्मी) शीघ्र ही सारी दुनिया के सामने आएगी।

उदयपुर: स्पीति की पिन घाटी के सगनम गांव में कई वर्षों से मकबरे में बंद सुरक्षित मानव देह (बौद्ध लामा की मम्मी) शीघ्र ही सारी दुनिया के सामने आएगी। सगनम में मम्मी को मकबरे से बाहर निकालने की योजना पर विचार किया जा रहा है। बौद्ध लामा (मेमे गटुक) की सुरक्षित देह सैंकड़ों सालों से मकबरे के अंदर बंद है। गांव के लोग बताते हैं कि लामा की आखिरी इच्छा थी कि निर्वाण के उपरांत उनकी देह को अग्नि या फिर मिट्टी के हवाले न किया जाए बल्कि मम्मी बनाकर गांव में ही सुरक्षित रख लिया जाए। उनकी इच्छा के अनुरूप गांव के कुछ वैज्ञानिकों ने प्राचीन समय में किन साल्टों के इस्तेमाल से पार्थिव देह को पूरी तरह से सुखाते हुए मम्मी में तबदील कर दिया, इस पर फिलहाल रहस्य बना हुआ है। 

मम्मी को देखने के लिए रखा गया था झरोखा 
(छोरतन) मकबरे में बंद मम्मी को देखने के लिए पहले एक झरोखा रखा गया था लेकिन कुछ समय पहले वह भी बंद कर दिया गया। गांव के अबोध बच्चे लाठी व पत्थरों से मम्मी को क्षति पहुंचा रहे थे। बताते हैं कि अतीत में मेमे गटुक अपनी सिद्धियों के बल पर ताउम्र इस जनजातीय क्षेत्र के पीड़ितों व दीन-दुखियों को कष्टमुक्त करते रहे। उनकी माला के चमत्कार के किस्से भी लोग बड़े गर्व से सुनाते हैं। 

पूर्वजों से सुने थे मेमे की माला के चमत्कार : दोरजे
मेमे गटुक के परपोते दोरजे नमज्ञाल जो सगनम में शिक्षक हैं, उन्होंने बताया कि उन्होंने मेमे की माला के चमत्कार अपने पूर्वजों से सुने हैं। यह उनकी माला से निकलने वाली आग की चिंगारियों का प्रभाव था कि गांव में दुख और कष्ट कभी निकट नहीं आ सके। उनके तप और साधना का आभास आज भी इस तरह से व्याप्त है कि पूरा गांव उन्नति के पायदान लांघता जा रहा है। सकारात्मक ऊर्जा के साथ पूरे गांव में हर तरफ  परस्पर सौहार्द व खुशहाली का साम्राज्य है। 

अधिक समय तक माला को सहेज नहीं पाया था मेमे का शिष्य
विरासत में मेमे गटुक ने अपनी वह चमत्कारिक माला जिस लामा शिष्य को सौंपी थी, वह लामा उस माला को अधिक समय तक सहेज नहीं पाया। पिन नदी पार करते समय माला का मनका-मनका नदी के पानी में बिखर जाने से उनकी यह विरासत भी लुप्त हो गई। मकबरे में अब सिर्फ  उनकी मम्मी रह गई है, जिसे बाहर निकालने की तैयारी है। उसके बाद देश-विदेश के पर्यटक व शोधकर्ता भी रहस्यपूर्ण मम्मी को देख सकेंगे।

पूजा-अर्चना का क्रम निरंतर जारी
लामा के मकबरे में पूजा-अर्चना का क्रम निरंतर चल रहा है। सामाजिक व पारिवारिक खुशहाली के लिए मिट्टी और जौ के सत्तू के पिंड अर्पित किए जाने की परंपरा आज भी निभाई जा रही है। दोरजे नमज्ञाल ने बताया कि शीघ्र ही अब मम्मी को मकबरे से बाहर निकाल दिया जाएगा। ग्रामसभा में भी इसके लिए सहमति बनी है।

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