किसान पुत्र ने बढ़ाया हिमाचल का मान, रांची में संभाला VC का पदभार

Edited By Updated: 19 Feb, 2017 09:26 PM

hp enhanced the value of the farmer  s son  took over the vc office in ranchi

हिमाचल प्रदेश के किसान पुत्र ने कृषि विश्वविद्यालय रांची में वी.सी. का पदभार ग्रहण करके न केवल सोलन जिला बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है।

सोलन: हिमाचल प्रदेश के किसानपुत्र ने कृषि विश्वविद्यालय रांची में वी.सी. का पदभार ग्रहण करके न केवल सोलन जिला बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। जिला सोलन में नालागढ़ के तहत काहली गांव के रहने वाले डा. परविंद्र कौशल ने शुक्रवार को अपना पदभार ग्रहण किया और वहां के सभी पदाधिकारियों बैठक की और वि.वि. के तहत आने वाले महाविद्यालयों का निरीक्षण किया। इससे पहले डा. कौशल, डा. वाई.एस. परमार बागवानी एवं वानिकी वि.वि. में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं और प्रदेश में कृषि को बढ़ावा देने के लिए उनका योगदान सराहनीय है।

इन पुरस्कारों से हो चुके हैं सम्मानित 
कृषि क्षेत्र में विकास में योगदान देने के लिए फरवरी, 2014 में हिमोत्कर्ष संस्था ऊना द्वारा फरवरी, 2014 में हिमाचल श्री और मार्च, 2014 में कॉनफैडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री द्वारा सर्वश्रेष्ठ कृषक के रूप में सम्मानित किया गया था। डा. कौशल ने रविवार को सोलन में एक खास बातचीत में बताया कि इससे पहले भी वह दिसम्बर, 2005 से दिसम्बर, 2009 तक बी.ए.यू. रांची में डीन ऑफ फैकल्टी ऑफ फारेस्ट्री के रूप में सेवाएं दे चुके हैं। वर्ष 2010 से प्रदेश में आकर जल प्रबंधन के द्वारा कृषि उत्पादन एवं ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने में सक्रिय कार्य किया। डा. कौशल अभी तक 20 देशों में अपने शोधपत्र पढ़ चुके हैं और 6 विश्वस्तरीय सम्मेलन में हिस्सा ले चुके हैं।

दैनिकभोगी मजदूर से बी.ए.यू. वी.सी. तक का सफर
वर्ष 1978 में डा. परमिंद्र कौशल ने कृषि महाविद्यालय सोलन से वानिकी की स्नातकोत्तर उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की और शिक्षा व शोध में रुचि के कारण शिमला स्थित भारतीय वानिकी शोध एवं शिक्षा कौंसिल के केंद्र में दैनिकभोगी मजदूर के रूप में अपना व्यावसायिक कार्य शुरू किया ताकि शोध का कार्य कर सकें। वर्ष 1981 में वह पंजाब वि.वि. लुधियाना में सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्त हुए। वह कॉमन वैल्थ फैलोशिप के तहत कनाडा में पढ़े व फ्रांस सरकार की फैलोशिप से उन्हें फ्रांस में पढ़ाई का मौका मिला। वर्ष1981 से 1991 तक पंजाब में कार्यरत रहे। वर्ष1992 में नौणी वि.वि. में कार्य आरंभ किया। वर्ष 2006 में झारखंड में उन्हें बी.ए.यू. में डीन के पद पर चुना गया। वर्ष 2010 में फिर से उन्होंने नौणी वि.वि. में सेवाएं दी और अब वह बी.ए.यू. में कुलपति के रूप में पदभार संभाल चुके हैं।

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