रियासत काल से चल रही 'यह' परंपरा, कैमरे में कैद होगा इतिहास

Edited By Updated: 01 Mar, 2017 04:13 PM

homestead period from ongoing this tradition in camera capture will history

हिमाचल के मेले काफी प्रसिद्ध हैं। यहां की खूबसूरती, प्रकृति और शांत वातावरण हर साल पूरी दुनिया के लाखों पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है।

बिलासपुर: हिमाचल के मेले काफी प्रसिद्ध हैं। यहां की खूबसूरती, प्रकृति और शांत वातावरण हर साल पूरी दुनिया के लाखों पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। 17 से 23 मार्च तक आयोजित होने वाले राज्य स्तरीय नलवाड़ मेले के मुख्य आकर्षण माने जाने वाली छिंज को लेकर मेला आयोजन समिति ने कुछ नया करने का निर्णय लिया है। अपने इसी निर्णय के तहत मेला आयोजन कमेटी द्वारा पहली बार छिंज की डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने जा रहा है। डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के बाद इसे यू-ट्यूब में डाला जाएगा ताकि मेले के इस रोमांच और पहलवानों के दाव-पेंचों को देश-विदेश में बैठे लोग देख सकें। यदि जिला प्रशासन व मेला आयोजन समिति का यह प्रयास सफल रहा तो देश-विदेश में बैठे लोग इसे देख सकेंगे।


रियासत काल से चल रहा नलवाड़ी मेला
बिलासपुर का राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेला उत्तरी भारत का प्रसिद्ध मेला है। रियासत काल से चल रहा नलवाड़ी मेला पहले बैलों की खरीद-फरोख्त के लिए मशहूर था लेकिन बदलते परिवेश में अब यहां पर बैलों की खरीद-फरोख्त नाममात्र की ही रह गई है। इस मेले में जिला ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों के किसान भी बैलों की खरीद-फरोख्त करने के लिए आते थे। आधुनिकता के इस दौर में बैलों की जगह ट्रैक्टरों ने ले ली है जिस कारण यह कारोबार प्रभावित होकर रह गया है तथा अब इस नलवाड़ी मेले में बैल नाम मात्र ही आते हैं। 


2 प्रकार की होगी छिंज प्रतियोगिता 
राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेला में 20 से लेकर 23 मार्च तक छिंज प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इस छिंज प्रतियोगिता में जिला, प्रदेश व बाहरी राज्यों के नामी पहलवान भाग लेते हैं। मेले में छिंज प्रतियोगिता 2 प्रकार की होती है। जिसमें एक ओपन तो दूसरी हिम कुमार की प्रतियोगिता होती है। दोनों प्रतियोगिताओं के लिए विजेताओं को इनामी राशि के अलावा चांदी के गुर्ज प्रदान किए जाते हैं। ओपन प्रतियोगिता में कोई भी पहलवान भाग ले सकता है लेकिन हिम कुमार प्रतियोगिता में केवल हिमाचल का युवा पहलवान ही भाग ले सकता है। हिम कुमार प्रतियोगिता के लिए 21 वर्ष की आयु निर्धारित की गई है। नलवाड़ी मेले की छिंज पूरे उत्तरी भारत में प्रसिद्ध है तथा इसमें हिमाचल, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली तक के नामी पहलवान 4 दिन तक अपने दाव-पेंच दिखाते हैं।

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