हिमाचली सेब डब्ल्यूटीओ की विशेष श्रेणी में शामिल हो: कश्यप

Edited By Punjab Kesari, Updated: 03 Feb, 2018 04:19 PM

himachali apple will be included in special category of wto

हिमाचल प्रदेश के शिमला से लोकसभा सांसद वीरेंद्र कश्यम ने राज्य के सेब उत्पादकों की आर्थिक एवं आजीविका के संरक्षण हेतु राज्य के सेब को विश्व व्यापार संगठन(डब्ल्यूटीओ) की विशिष्ट उत्पाद श्रेणी में शामिल करने की मांग की है।  श्री कश्यप ने केंद्रीय...

शिमला :हिमाचल प्रदेश के शिमला से लोकसभा सांसद वीरेंद्र कश्यम ने राज्य के सेब उत्पादकों की आर्थिक एवं आजीविका के संरक्षण हेतु राज्य के सेब को विश्व व्यापार संगठन(डब्ल्यूटीओ) की विशिष्ट उत्पाद श्रेणी में शामिल करने की मांग की है।   श्री कश्यप ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभू को पत्र लिखे पत्र में उनसे अमरीका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और चीन से देश में आने वाले सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग की ताकि राज्य के सेब उत्पादकों की हितों का संरक्षण किया जा सके। उन्होंने कहा कि इन देशों से गत पांच वर्षों में सेब का आयात 122265 टन से बढ़ कर तीन लाख टन हो गया है जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढऩे और स्थानीय उपभोक्ताओं के भी विदेशी सेब के प्रति बढ़ते रूझान से घरेलू सेब की मांग और कीमतों में काफी गिरावट आई है।

राज्य के 1.60 लाख से अधिक परिवारों की आजीविका 
परिणामस्वरूप राज्य के सेब उत्पादकों को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।   सांसद ने कहा कि विदेशी सेब के मुकाबले हालांकि हिमाचली सेब की गुणवत्ता और स्वाद कहीं अच्छा है ऐसे में इसे बाजार संरक्षण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सेब की पैदावार राज्य के लगभग नौ जिलों में होती है तथा यह राज्य के 1.60 लाख से अधिक परिवारों की आजीविका एवं आर्थिकता का भी मुख्य आधार है। उन्होंने कहा कि बाजार में विदेशी सेब के ज्यादा मात्रा में आने से राज्य में सेब और कृषि पर निर्भर 85 प्रतिशत किसान प्रभावित हुये हैं।

हैक्टेयर क्षेत्र में सालाना लगभग 29 लाख सेब की पैदावार होती है
श्री कश्यप ने कहा कि देश के लगभग पौने तीन लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सालाना लगभग 29 लाख सेब की पैदावार होती है। उन्होंने श्री प्रभू से घरेलू सेब की किस्म में सुधार के लिए अनुसंधान पर जोर देने, सेब के भंडारण हेतु प्रशीतन गृहों की व्यवस्था बढ़ाने और सेब उत्पादक क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण एवं विपणन सुविधाएं बढ़ाने की मांग की। उन्होंने राज्य के सेब उत्पादकों को सेब की खेती की आधुनिकतम तकनीकों से अवगत कराने हेतु उन्हें विदेश भेजने का भी अनुरोध किया ताकि वे न केवल अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में टिक सकें बल्कि अपने उत्पादों का विकसित देशों को भी निर्यात कर सकें। 
 

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