हिमाचल में एक ऐसी जादुई सीट, जहां जो जीता उसके दल की ही बनी सरकार

Edited By Punjab Kesari, Updated: 10 Nov, 2017 01:46 PM

himachal in such an magical seat

हिमाचल में एक ऐसी जादुई सीट है, जहां प्रत्याशी बदलते रहे, लेकिन यहां  से जो भी पार्टी जीती है उसी कि सरकार बनी है। बता दें कि आजाद भारत में 1952 में पहले आम चुनाव हुए, यहां राज्य में भी कई सरकारें आईं और गईं। यह जादुई सीट शिमला की जुब्बल-कोटखाई है।...

शिमला: हिमाचल में एक ऐसी जादुई सीट है, जहां प्रत्याशी बदलते रहे, लेकिन यहां  से जो भी पार्टी जीती है उसी कि सरकार बनी है। बता दें कि आजाद भारत में 1952 में पहले आम चुनाव हुए, यहां राज्य में भी कई सरकारें आईं और गईं। यह जादुई सीट शिमला की जुब्बल-कोटखाई है। यहां से हर चुनाव में सत्ता का सुख भोगा। जुब्बल-कोटखाई (जेएंडके) की जनता ने कभी विपक्ष में बैठने के लिए जनादेश ही नहीं दिया।  


3 बार मुख्यमत्री इसी सीट से मिला
खास बात यह है कि इसी सीट से हिमाचल को 3 बार मुख्यमंत्री मिला है। इसके अलावा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को अपने सियासी जीवन में एक ही बार हार का स्वाद चखना पड़ा। इसी क्षेत्र के लोगों ने उन्हें हराया था। 2 बार रामलाल ठाकुर और एक बार वीरभद्र सिंह यहां से मुख्यमंत्री बने थे। इतना ही नहीं1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी तो जुब्बल कोटखाई तब भी सत्ता में बैठा था। तब विधायक रामलाल ठाकुर मुख्यमंत्री यहां से जीते थे। बता दें कि यहां से सत्ता का साथ दोने की परंपरा 1952 से चलती आई है। 


ये रहा हिमाचल का अब तक का इतिहास 
1952 चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बाला नंद यहां से जीते। इसके बाद 1963 में कांग्रेस के ही राम लाल को यहां से जीत मिली। 1972 में एक बार फिर रामलाल ने अपना यहां से कब्जा जमाया और जीत हासिल की। 1977 में यहां फिर बीजेपी की सरकार बनी। जो 1980 तक ही रही। इसके बाद 1980 विधानसभा चुनाव में फिर रामलाल इस सीट से कांग्रेस की तरफ से जीत कर आए। 1985 में मौजूदा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने यहां से जीत हासिल की। बता दें कि वीरभद्र 6 बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। 1990 विधानसभा चुनाव में रामलाल ने जनता दल की टिकट पर यहां से चुनाव लड़ा और जीत प्राप्त की। इसके बाद 1992 में बाबरी मस्जिद मामले के बाद राज्य में शांता कुमार की सरकार गिर गई और 1993 में फिर चुनाव हुए तो रामलाल ने कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीता। 1998 में रामलाल ने फिर यहां से जीत हासिल की। 2003 में रोहित ठाकुर (कांग्रेस), 2007 में नरेंद्र बरागटा (बीजेपी) और 2012 विधानसभा चुनाव में रोहित ठाकुर (कांग्रेस) यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 
 

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