हिमाचल में 'मोदी फैक्टर' को भुनाने की तैयारी, तोड़ना होगा शहरी पार्टी होने का मिथक

Edited By Updated: 27 Apr, 2017 09:07 AM

himachal in modi factor prepare for redemption break will be urban party myths

दिल्ली एम.सी.डी. के बाद भाजपा की नजर अब एम.सी. शिमला पर है।

शिमला: दिल्ली एम.सी.डी. के बाद भाजपा की नजर अब एम.सी. शिमला पर है। इसके लिए मोदी फैक्टर को भुनाने की पूरी तैयारी चल रही है। रिज रैली से पार्टी के कार्यकर्ताओं की धमनियों में नए रक्त का संचार होगा। वे इससे इलैक्शन मोड पर आ जाएंगे। पहले निगम को कब्जाने का माहौल तैयार होगा और फिर इसे विधानसभा चुनाव तक न केवल बरकरार रखा जाएगा, बल्कि और तेज किया जाएगा। प्रदेश में इसी साल के अंत तक विधानासभा चुनाव भी होने हैं। रैली के माध्यम से प्रधानमंत्री संगठन को इतना सक्रिय कर देंगे, ताकि इसे चुनावी सफलता तक पहुंचाया जा सके। बुधवार को भाजपा नेताओं की निगाहें दिल्ली एम.सी.डी. पर लगी रहीं। 


'कमल' पर हमेशा ही भारी पड़ा कांग्रेस का पंजा
शिमला में बैठकर हर कोई नेता और कार्यकर्ता दिल्ली के चुनावी नतीजों के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहा था। इसके लिए कभी टैलीविजन स्क्रीन का सहारा लिया तो कभी इंटरनैट पर आ रहे चुनावी अपडेट को देखा गया। हाईटैक युग में अब हर हाथ में मोबाइल है और इसमें इंटरनैट की भी सुविधा ले रखी है। दिल्ली में मोदी लहर चलने के बाद अब बारी हिमाचल की है। इस लहर के नगर निगम चुनाव में चलने के पूरे आसार हैं। भाजपा नेता इसे मोदी की सियासी सुनामी का नाम दे रहे हैं। पार्टी का दावा है कि यह सुनामी पहाड़ पर भी चलेगी और यह शिमला की सियासत के समीकरण बदल कर रख देगी। आज तक निगम चुनाव में कमल का फूल नहीं खिल पाया है। 'कमल' पर हमेशा ही कांग्रेस का पंजा भारी पड़ा है। पंजा कमल जैसे नाजुक फूल को तोड़-मरोड़ कर रख देता था मगर अब कमल का सियासी घेरा मजबूत होता दिखाई दे रहा है। 


पार्टी सिंबल पर ही चुनाव करवाने की ज्यादा संभावनाएं
देश के हालात भाजपा के पक्ष में हैं। इन हालातों को शिमला में भी भुनाया जा रहा है। मोदी की परिवर्तन रैली को निगम चुनाव से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। इससे स्वत: ही माहौल पैदा होगा। पार्टी का नाम शिमलावासियों की जुबान पर आएगा, लेकिन पार्टी के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं। भाजपा को शहरी पार्टी होने का मिथक तोडऩा होगा। अगर इस छवि में सुधार हुआ तो कसुम्पटी और शिमला ग्रामीण हलके के वार्डों में उसे सीधा लाभ होगा। अभी तक ये कांग्रेस के गढ़ माने जाते रहे हैं। पार्टी को उम्मीद है कि मोदी लहर से बदलाव की बयार हर वार्ड में बहेगी। वैसी स्थिति में कहीं भी कोई भेद नहीं रहेगा। निगम में भाजपा मोदी के नाम पर वोट मांगेगी। हालांकि अभी चुनाव पार्टी सिंबल पर करवाने से संबंधित सरकार ने कोई ताजा फैसला नहीं लिया है। पार्टी सिंबल पर ही चुनाव करवाने की ज्यादा संभावनाएं नजर आ रही हैं। 


सरकार कभी भी ले सकती है बड़ा फैसला
इस पर सरकार कभी भी बड़ा फैसला ले सकती है। इससे पहले सरकार ने तय किया था कि वह पार्टी सिंबल पर चुनाव नहीं करवाएगी। इस पैटर्न पर धर्मशाला में चुनाव करवाए गए थे। वहां कांग्रेस जीती भी और भाजपा की करारी हार हुई थी, लेकिन यह पैटर्न शिमला में शायद ही चलेगा। इसे बदलने के लिए कांग्रेस के भीतर से भी लगातार आवाज उठ रही है। शिमला में 1986 में बिना पार्टी सिंबल के चुनाव हुए थे। उसके बाद तमाम चुनाव में पार्टी सिंबल की व्यवस्था थी। पूर्व भाजपा सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए एक और अहम फैसला लिया था। मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव भी प्रत्यक्ष प्रणाली से करवाने की व्यवस्था की। भले ही भाजपा को इसका लाभ नहीं हुआ, पर जनता ने इस सिस्टम की सराहना की थी। कांग्रेस ने प्रदेश की सत्ता संभालते ही एम.सी. एक्ट में संशोधन किया और पुरानी व्यवस्था को ही बहाल किया। 


5 साल की परफॉर्मैंस पर तीखे सवाल उठा रहे धूमल
राजनीति के कई जानकारों ने इसे लोकतंत्र विरोधी फैसला करार दिया। खैर, अब पार्षद के चुनाव पार्टी सिंबल पर करवाए जा सकते हैं, लेकिन मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे, इसके आसार काफी कम हैं। अभी शिमला के मेयर संजय चौहान और डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर हैं। इनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। कामरेडों ने पिछले चुनाव में इतिहास रचा था, अब उनके सामने पार्टी के उम्मीदवारों को विजयी बनाने की जिम्मेदारी होगी। दोनों की ही छवि प्रगतिशील नेता की है। हालांकि ये 5 साल तक कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के निशाने पर रहे। भाजपा तो वामपंथियों की धुर विरोधी पार्टी मानी जाती है। इसी कारण पार्टी के बड़े नेता अब भी वामपंथियों पर लगातार निशाना साध रहे हैं। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी 5 साल की परफॉर्मैंस पर तीखे सवाल उठा रहे हैं। 


झाड़ू के माध्यम से मिला हवा बनाने का अवसर
मोदी की रैली से पूर्व भाजपा के नेताओं को झाड़ू लगाने के माध्यम से वार्डों में चुनावी हवा बनाने का मौका मिला। स्वच्छता अभियान के तहत पूर्व सी.एम. प्रेम कुमार धूमल से लेकर केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा, भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती व सांसद वीरेंद्र कश्यप सबने हाथ में झाड़ू उठाया। इसके माध्यम से निगम चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर चुनावी माहौल तैयार किया। ऐसा 4 दिनों तक किया गया। इस गतिविधि से कार्यकर्ताओं के साथ संवाद भी बढ़ा। पार्षद पद के तलबगारों के साथ भी संपर्क हुआ। उन्हें भी अपनी बात नेताओं तक पहुंचाने का मंच मिला। वो भी ऐसे वक्त में जब चुनाव का बिगुल बजने ही वाला है। 


मेयर और डिप्टी मेयर ने किया रिज का निरीक्षण
मेयर संजय चौहान और डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने करीब 11 बजे रिज मैदान का निरीक्षण किया। इन नेताओं ने उस जगह का भी जायजा लिया, जिसके नीचे अंडरग्राऊंड वाटर स्टोर टैंक के एक हिस्से में दरार आ गई है। हालांकि पूर्व सी.एम. प्रेम कुमार धूमल इन्हें आईना दिखा चुके हैं। डिप्टी मेयर ने रिज पर रैली न करने को लेकर पी.एम.ओ. को पत्र लिखा था, बावजूद भाजपा ने रैली स्थल को नहीं बदला। पत्र का कोई खास असर नहीं हुआ, मगर इसकी चर्चा जरूर हुई। शायद यही वामपंथी भी चाहते थे। कांग्रेस ने भी विशेषज्ञ की राय लेने की मांग उठाई थी। भाजपा नेतृत्व ने इस मांग को भी सिरे से ठुकरा दिया। अब वीरवार को रैली होगी ही और इसके लिए भारी भीड़ जुटाने की तैयारियां पूरी हो गई हैं। 

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