PICS: तेज गति से पिघलते ग्लेशियर की चपेट में आई ये प्राकृतिक सौंदर्य झील

Edited By Updated: 27 Apr, 2017 02:31 PM

high speed from melting glacier of gripped this natural beauty lake

हिमाचल के लाहौल-स्पीति में तेज गति से पिघलते ग्लेशियर कुदरती सौंदर्य से भरपूर चंद्रताल झील पर कहर बरपाने लगे हैं।

उदयपुर: हिमाचल के लाहौल-स्पीति में तेज गति से पिघलते ग्लेशियर कुदरती सौंदर्य से भरपूर चंद्रताल झील पर कहर बरपाने लगे हैं। बेमिशाल रामसर बैटलैंड साइट चंद्रताल झील ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में आ गई है। झील के संरक्षण में वन विभाग प्रयासरत है, मगर ग्लेशियरों के पिघलने से उफनते नालों के सामने विभागीय प्रयास सिरे नहीं चढ़ पा रहे हैं। जिससे प्रदेश में कुदरत की सबसे खूबसूरत कलाकृति का आकार लगातार घट रहा है। मलबा समेट रहा झील का आकार जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में 7 समंदर पार के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने वाली चंद्रताल झील समुद्रतल से 14,100 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। 5 किलोमीटर की परिधि में फैली यह झील कई रूप बदलती है। 
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बर्फीली चोटियों के ग्लेशियर तेज गति से पिघलते हुए झील में जमा रहे मलबा 
चांदनी रात में इस झील की खूबसूरती पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करने वाली है। लेह-लद्दाख की पांग लेक की उड़ान में निकले विदेशी परिंदों की चंद्रताल विश्राम स्थली भी बताई गई है। विभिन्न प्रजातियों के मेहमान परिंदे यहां ज्यादा समय तक नहीं रुकते, क्योंकि चंद्रताल मछलियों से खाली बताई गई है। चारों ओर बर्फ से ढके पर्वतों के बीच में फैली चंद्रताल की निर्मल जलराशी कभी शांत तो कभी टकराती लहरें किनारों से बाहर तक अपना वजूद ढूंढती हैं, शायद लहरों को भी मालूम है कि उनकी झील लगातार सिकुड़ रही है। विभागीय अधिकारी भी मानते हैं कि बर्फीली चोटियों के ग्लेशियर तेज गति से पिघलते हुए झील की कोख में मलबा जमा कर रहे हैं। 
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कुछ समय बाद झील के पानी की जगह घास के मैदान उभरेंगे
ग्लेशियरों से निकलने वाले नाले इन दिनों हिमालयी झील को चारों ओर से समेटने में लगे हैं। बताया गया है कि अब कुछ समय बाद इन नालों का उफान जब शांत होगा, तब किनारों पर झील के पानी की जगह घास के मैदान उभरेंगे। ग्लोबल वार्मिंग से पिघलते ग्लेशियरों की वजह से कुदरती झील की दशा हर साल देखी गई है। उल्लेखनीय है कि चंद्रताल को चंद्रा नदी की जन्मदायिनी भी कहा गया है। जबकि भागा नदी भी इसी हिमालयी क्षेत्र में सूरज ताल से निकली है। तांदी संगम में चंद्रा और भागा के मिलन के बाद चिनाव के नाम से यह आगे चलकर पाकिस्तान को सींचती है। सिंधु जलसंधि के बाद चिनाव नदी के पानी पर पाकिस्तान का हक है। 

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क्या कहते हैं अधिकारी
डी.एफ.ओ. स्पीति राजेश शर्मा का कहना है कि रामसर बैटलैंड साइट का दर्जा मिलने के बाद चंद्रताल झील के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें कुछ हद तक सफलता भी मिली है। उनका कहना है कि ग्लेशियरों से झील में जमा हो रहे मलबे को रोकने के लिए अवरोध लगाए गए हैं, जो बाढ़ के तेज प्रवाह से क्षतिग्रस्त भी हो रहे हैं। उनका कहना है कि अब कुछ समय के बाद पुन: प्रयास आरंभ किए जाएंगे।
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