हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बावजूद पास हुआ TCP बिल, 30 हजार लोगों को होगा फायदा

Edited By Updated: 25 Jan, 2017 10:03 AM

high court despite strict comment the governor said tcp bill approved

हिमाचल हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बावजूद मंगलवार को राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आखिरकार सूबे के अवैध भवनों को वैध करने वाले विवादित टीसीपी संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है।

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बावजूद मंगलवार को राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आखिरकार सूबे के अवैध भवनों को वैध करने वाले विवादित टीसीपी संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इससे राज्य में अवैध तरीके से बने हजारों अवैध भवनों को नियमित करने का रास्ता साफ हो गया है। इससे पहले राज्यपाल ने विधेयक के कुछ बिन्दुओं पर राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था। इस पर सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। उल्लेखनीय है कि अगस्त, 2016 में विधानसभा से संशोधन विधेयक को पारित किया गया था। इसके बाद संशोधन विधेयक को राजभवन से अनुमति न मिलने पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने राज्यपाल से मामला उठाया था। मुख्यमंत्री के बाद शहरी विकास एवं आवास मंत्री सुधीर शर्मा ने 27 अक्तूबर, 2016 को विभागीय अधिकारियों के साथ राज्यपाल से भेंट की थी।

सुधीर शर्मा ने पत्र लिखकर किया था यह आग्रह
इस भेंट के बाद जब राजभवन से विधेयक को मंजूरी नहीं मिली तो शहरी विकास एवं आवास मंत्री ने राज्यपाल को पत्र लिखकर संशोधन विधेयक को लौटाने या फिर इसे स्वीकार करने का आग्रह किया था। उनका तर्क था कि विधेयक के लटकने से राज्य में अवैध निर्माण को बल मिला है। उनके पत्र के बाद राजभवन की तरफ से कुछ बिन्दुओं पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया था, जिसके बाद अब जाकर इसे मंजूरी मिल पाई है। नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने भी विधेयक को लेकर पहले राज्यपाल के समक्ष अपना पक्ष रखा था। राजभवन से संशोधन विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद अब राज्य में हजारों अवैध भवनों को नियमित करने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू हो जाएगी। 

क्या है संशोधन विधेयक का प्रारूप
राज्य विधानसभा से पारित टी.सी.पी. संशोधन विधेयक में ‘‘जहां हैं, जैसे हैं’’ के आधार पर नियमित करने की बात कही गई थी। इसके अनुसार पार्किंग मंजिल को यदि किसी अन्य उपयोग के लिए भी परिवर्तित किया गया हो तो वैकल्पिक पार्किंग जगह उपलब्ध करवाने पर नियमितीकरण के लिए माना जाएगा। जिन लोगों ने मकानों के नक्शे पास करवाए हैं, उन्हें विचलन शुल्क नगर निगम क्षेत्र में 800 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से फ्लैट रेट पर जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 400 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से वसूले जाने की बात कही गई थी। पूर्णरूप से अवैध निर्माण के लिए ये दरें शहरी क्षेत्रों में 1,200 रुपए जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 600 रुपए प्रति वर्ग मीटर रखने की बात कही गई थी।

60 दिनों के भीतर प्रस्तुत करना होगा आवेदन 
विधेयक में संशोधित अधिनियम के प्रकाशन के 60 दिनों के भीतर आवेदन प्रस्तुत करना प्रस्तावित है। आवेदकों को इस आशय का शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा कि उन्होंने किसी व्यक्ति अथवा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण नहीं किया है तथा लोक निर्माण अथवा राष्ट्रीय उच्च मार्गों की नियंत्रित चौड़ाई पर किसी प्रकार का निर्माण नहीं किया है। नगर निगम अथवा शहरी एवं नगर नियोजन क्षेत्र से बाहर के क्षेत्रों के लोगों को नियमितीकरण के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।

सरकार के अनुसार 13 हजार अवैध भवन
राज्य सरकार के अनुसार प्रदेश में अधिसूचित योजना और विशेष क्षेत्रों में मार्च, 2016 तक करीब 13 हजार अनधिकृत भवन हैं। इससे पहले सरकार की तरफ से पहले दी गई रियायत के आधार पर 6090 मामलों का निपटारा किया जा चुका है। सरकार का मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में अनधिकृत निर्माण को गिराना उचित नहीं है, इसलिए इसके लिए नियमों में संशोधन किया जा रहा है।

कांग्रेस ने पूरा किया वायदा : नरेश चौहान
हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं मीडिया विभाग के अध्यक्ष नरेश चौहान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र के अनुरूप जनता से किए गए वायदे को पूरा कर दिखाया है। इससे राज्य के हजारों लोगों को राहत मिलेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पहले भाजपा ने ऐसा वायदा किया था लेकिन सत्ता में आने पर इसे मंजूरी प्रदान नहीं की। इससे सरकार की कथनी और करनी में अंतर का पता चलता है।

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