Edited By Updated: 23 Apr, 2017 10:31 AM
इस बार हिमालय ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगे हैं। कुदरती तौर पर आसमान से....
उदयपुर: इस बार हिमालय ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगे हैं। कुदरती तौर पर आसमान से गिरी मिट्टी ने मध्यवर्ती हिमालय से निकलने वाली नदियों में बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है। हिमालयी पट्टी में इस बार अप्रैल के महीने में ही बर्फ व ग्लेशियर तेजी से पिघलने लगे हैं जिससे पिन और स्पीति नदियों सहित समस्त बर्फीले नाले उफान पर आ गए हैं। संभावना जताई गई है कि ये नदियां आने वाले समय में सतलुज के जलस्तर को और अधिक बढ़ा देंगी।
वैज्ञानिकों ने इस अजीबोगरीब घटना पर जताई हैरानी
किन्नौर जिला के खाब नामक स्थान पर सतलुज में समाने वाली स्पीति व इसकी सहायक नदियों के जलस्तर में एकाएक बढ़ौतरी दर्ज की गई है। खतरे को देखते हुए प्रशासनिक स्तर पर तोद घाटी में स्थिति का जायजा लिया गया। इससे पूर्व पंजाब केसरी ने हिमालयी क्षेत्र में पैदा होने वाले बाढ़ के खतरे का खुलासा 9 अप्रैल के अंक में जाहिर कर दिया था, अब घटना से जुड़े भोटी धर्म ग्रंथों के उल्लेख भी प्रमाणित हुए हैं। आखिर वही हुआ, जिसके संकेत भोटी भाषा के विद्वानों ने पहले ही दे दिए थे। हालांकि वैज्ञानिकों द्वारा इस अजीबोगरीब घटना पर हैरानी जताई गई है।
बर्फीली नदियों का उफान सतलुज के जलस्तर की और बढ़ा
बताया गया है कि मध्यवर्ती हिमालय पर स्थित स्पीति की तोद घाटी पर बर्फ में आसमान से गिरी काली मिट्टी की 4 इंच परत बर्फ और ग्लेशियरों को अप्रत्याशित तौर पर पिघला रही है, जिससे हर तरफ पानी ही पानी हो गया है। बर्फ व ग्लेशियरों को पिघलाती हुई नदियों में समा रही यह मिट्टी जनजीवन के लिए भी खतरनाक बताई गई है। जाहिर है कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा बर्फीली नदियों का उफान सतलुज के जलस्तर को और अधिक बढ़ाएगा।