Edited By Punjab Kesari, Updated: 03 Jul, 2017 12:58 PM
वैसे तो पहाड़ी राज्य हिमाचल में कई जगहों पर चट्टानों के खिसकने का खतरा है लेकिन इस तरह की बड़ी घटनाओं में कुल्लू का नाम भी शामिल हो गया है।
कुल्लू: वैसे तो पहाड़ी राज्य हिमाचल में कई जगहों पर चट्टानों के खिसकने का खतरा है लेकिन इस तरह की बड़ी घटनाओं में कुल्लू का नाम भी शामिल हो गया है। देवभूमि कुल्लू के कई इलाकों में दरकती पहाड़ियां रिहायशी इलाकों के लिए खतरा बनी हुई हैं। मणिकर्ण हादसे को लोग भूले नहीं हैं। 2 साल पहले गाड़गी की पहाड़ियों से चट्टानें गुरुद्वारा पर गिरी थीं और हादसे में 7 लोग काल का ग्रास बन गए थे। इस हादसे में 11 लोग जख्मी हो गए थे। सेऊंड गांव के ऊपर चपाड़ी की पहाड़ियों से लगातार गिरती चट्टानें भी गांव के लिए खतरा बनी हुई हैं। पालगी के समीप भी कुछ समय पहले भू-स्खलन के चलते पूरा गांव खाली करना पड़ा था। यहां कई गांव और कस्बे ऐसे हैं जिनके ऊपर यह पहाड़ियां कभी कहर ढा सकती हैं।
कुल्लू में ऐसे संवेदनशील इलाकों में तोष, टाहुक, बरशैणी, छिंजरा, शरोड़, रशोल, तुलगा, धरमौर, शाट, जल्लूग्रां, सलास, जछणी, नरोगी, ग्राहण, शिलागढ़, राऊली, हवाई, ढलाहण, वशिष्ठ, लैफ्ट बैंक मार्ग, जाणा, न्यूली, शांघड़, सैंज, नेऊली, भलाण, हुरचा, गोही, शिरड़, हलाण एक और दो सहित कई क्षेत्र शामिल हैं। हालांकि मणिकर्ण के ठीक पीछे गाड़गी की पहाड़ियों में मैश नैटिंग, क्रेट वाल सहित अन्य प्रावधानों का खाका भी तैयार हुआ था लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया है।