यहां ग्रामीणों ने पुलिस के खिलाफ की नारेबाजी, जानिए क्या है वजह

Edited By Punjab Kesari, Updated: 23 Jul, 2017 12:37 AM

here the villagers slogan against the police  know what is the reason

जिस खाकी पर लोगों का न्याय के लिए भरोसा टिका है यदि वही लोगों को न्याय दिलाने के बजाय गैर-कानूनी कृत्य करने वाले लोगों के खिलाफ.....

बरठीं: जिस खाकी पर लोगों का न्याय के लिए भरोसा टिका है यदि वही लोगों को न्याय दिलाने के बजाय गैर-कानूनी कृत्य करने वाले लोगों के खिलाफ गुनाह साहिब हो जाने के बाद भी कार्रवाई न करे तो उस खाकी पर से लोगों का विश्वास उठ जाना स्वाभाविक है। ठीक ऐसा ही खाकी द्वारा लोगों के साथ विश्वासघात करने का जीता जागता उदाहरण विधानसभा चुनाव क्षेत्र झंडूता की ग्राम पंचायत सुन्हाणी के डूहक गांव में सामने आया है। बहरहाल मामला तूल पकड़ सकता है क्योंकि लोगों ने अब पुलिस के खिलाफ संघर्ष का मन बना लिया है और इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए बीच सड़क पुलिस के खिलाफ जमकर मुर्दाबाद के नारे लगे। ग्रामीणों ने चेतावनी दे डाली है कि यदि एक सप्ताह के भीतर गैर-कानूनी धंधे को अंजाम देने वाले शातिरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई तो उन्हें धरना-प्रदर्शन करने पर विवश होना पड़ेगा तथा इसमें होने वाले नुक्सान की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होगी।

आरोपियों ने पंचायत के समक्ष कबूल किया गुनाह 
लोगों का कहना है कि दोनों आरोपियों ने पंचायत के समक्ष अपना गुनाह कबूल कर लिया है तथा पंचायत द्वारा इस गुनाह का तहरीरनामा भी लिखा गया। 8 बजे के करीब उन्होंने पुलिस को फोन किया क्योंकि पशुओं को बेसहारा छोडऩे वाले व्यक्ति ने लोगों के साथ बदतमीजी शुरू कर दी। इस पर पहले तो पुलिस आने से आनाकानी करने लगी। इसके बावजूद जब पुलिस ने लोगों के फोन को अहमियत नहीं दी तो उन्होंने पंचायत प्रधान कुसुमलता व उपप्रधान राजेश महाजन को मामले में हस्तक्षेप करने को कहा। लोगों का कहना है कि उपप्रधान राजेश महाजन ने पुलिस को फोन पर अवगत करवाया तथा कहा कि पुलिस की उपस्थिति जरूरी बन गई है क्योंकि मामला काफी गरमा गया है। लोगों का कहना है कि जितनी देर में पुलिस मौके पर पहुंची पशुओं को बेसहारा छोडऩे का धंधा करने वाला शातिर भाग गया था।

यह है मामला 
थाना तलाई के अधीन सुन्हाणी पंचायत के डूहक गांव में हफ्ता पहले लोगों को उनके गांव में खुले घूम रहे 2 बैल मिले जिनके रस्सियों से मुंह बांधे हुए थे जिस कारण वह घास खाना तो दूर पानी तक पीने से लाचार थे। प्रत्यक्षदर्शियों वार्ड पंच राजेंद्र कुमार, लंबरदार प्रेम सिंह, जगदीश धीमान, विश्वनाथ, रूप सिंह सहित अन्यों ने बताया कि उन्होंने उन बैलों को पहचान लिया कि इनका मालिक कौन तथा बैल उनके गांव में कैसे पहुंचे। यह जानकारी हासिल करने से पूर्व उन्होंने बैलों को पकड़कर सर्वप्रथम उनके मुंह में बंधी रस्सी को खोला। मालिक ज्ञान चंद ने बताया कि उसने उन्हें बेसहारा छोडऩे के लिए डूहक गांव के एक व्यक्ति के साथ 1200 रुपए का सौदा तय किया था। 

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