यहां कड़ाके की ठंड में 477 स्कूलों के 24,351 छात्र ऐसे कर रहे पढ़ाई

Edited By Updated: 18 Jan, 2017 03:44 PM

here in biting cold 477 schools and there are 24 351 students studying

प्रदेश में शीतलहर चली हुई है और 10 दिन के अवकाश के बाद ग्रीष्मकालीन स्कूल मंगलवार को खुल गए।

सोलन: प्रदेश में शीतलहर चली हुई है और 10 दिन के अवकाश के बाद ग्रीष्मकालीन स्कूल मंगलवार को खुल गए। घने कोहरे के बीच सांसों से हाथों को गर्म करते हुए बच्चे स्कूल पहुंचे। पिछले 10 दिनों में ठंड के कारण प्रदेश भर में हाय तौबा मची हुई है लेकिन इस दौरान स्कूलों में कुछ नहीं बदला है। यही कारण है कि प्राथमिक पाठशालाओं में बचपन ठिठुरने को मजबूर हो गया है। प्रदेश में भले ही शिक्षा पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं परन्तु प्राइमरी स्कूलों में बच्चे आज भी जमीन पर टाट बिछाकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। सरकार व प्रशासन को यह भी समझना होगा कि ग्रीष्मकालीन स्कूल होने का मतलब यह नहीं है कि जनवरी व फरवरी माह में भी इन स्कूलों में गर्मी होगी। इन स्कूलों में जितनी गर्मी पड़ती है उतनी ही सर्दी भी होती है। कई छात्रों की हालत ही उनके परिवार की गरीबी को बयान कर रही है। स्कूल के पहले दिन बहुत से ऐसे छात्र थे जिनके पास पहने के लिए गर्म कपड़े भी नहीं थे। जिला सोलन में 477 ग्रीष्मकालीन प्राइमरी स्कूलों 24,351 छात्र अध्ययनरत है। अधिकांश स्कूलों में आज भी छात्र टाट-पट्टियों पर ही बैठने को मजबूर हैं।


अर्की के 42 स्कूलों में भी नहीं डैस्क
अर्की उपमंडल की बात करें तो यहां की 42 प्राथमिक पाठशालाओं में छात्र जमीन पर बैठने के लिए मजबूर हैं। अर्की व धुंदन शिक्षा खंड के 38 प्राइमरी स्कूलों में ही बैठने के लिए बैंच हैं। सवाल यह है कि जब सरकार ने 38 स्कूलों में छात्रों के बैठने के लिए बैंच उपलब्ध करवाए हैं तो 42 स्कूलों को क्यों इससे किनारे किया गया?   


नालागढ़ उपमंडल के स्कूलों का हाल 
नालागढ़ उपमंडल में 174 प्राइमरी स्कूल हैं और इनमें 10,298 विद्यार्थियों को बैठने के लिए डैस्क नहीं हैं, वहीं ब्लाक रामशहर में 117 व बी.आर.सी. ब्लाक नालागढ़ में 124 प्राइमरी स्कूल हैं, जिनमें से कुल 241 में से मात्र 67 स्कूलों में ही डैस्क हैं। इन सभी स्कूलों में 14,786 विद्यार्थी हैं, जिनमें से मात्र 4,488 विद्यार्थियों को बैठने के लिए ही डैस्क हैं। इसके अलावा क्षेत्र के कई स्कूलों में भवन भी पर्याप्त नहीं हैं जिसके कारण विद्यार्थियों को बैठने के लिए भी दिक्कतें आती हैं तथा कई स्कूलों में तो विद्यार्थियों को बरामदों में बैठना पड़ता है। इसी तरह कई स्कूलों में कमरों की खिड़कियां भी टूटी हैं। बी.ई.ई.ओ. नालागढ़ रामगोपाल भारद्वाज व बी.ई.ई.ओ. रामशहर सहदेव लाल ने बताया कि जिन स्कूलों में डैस्क नहीं हैं व इनकी डिमांड विभाग को भेजी गई है।

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