यहां सरकार की घोषणाएं नौनिहालों पर पड़ रहीं भारी, जानिए कैसे

Edited By Punjab Kesari, Updated: 01 Oct, 2017 01:09 AM

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सरकार जगह-जगह नए स्कूल खोलने की घोषणाएं कर रही है परन्तु जो मौजूद हैं वहां न तो आधारभूत ढांचा है और न ही पर्याप्त अध्यापक हैं।

ऊना: सरकार जगह-जगह नए स्कूल खोलने की घोषणाएं कर रही है परन्तु जो मौजूद हैं वहां न तो आधारभूत ढांचा है और न ही पर्याप्त अध्यापक हैं। इसकी वजह से न नए स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल पा रही है और न ही पुराने संस्थान अपना रिकार्ड बचा पा रहे हैं। जगह-जगह स्कूल खोलने से बेहतर है कि जो पुराने स्कूल खुले हैं उन्हें सुदृढ़ किया जाए। पर्याप्त अध्यापक मुहैया करवाए जाएं और आधारभूत ढांचा मजबूत किया जाए। अधिकतर स्कूल तो ऐसे हैं जहां बच्चों की भी पर्याप्त संख्या नहीं है। न ही इस अनुपात के हिसाब से वहां शिक्षक मौजूद हैं। 

बढेड़ा राजपूतां में शिक्षकों के 9 पद खाली
कभी अच्छे रिजल्ट के लिए पूरे क्षेत्र में खास पहचान रखने वाला ए.एन.एस. गवर्नमैंट सीनियर सैकेंडरी स्कूल बढेड़ा राजपूतां की स्थिति खराब हो रही है। इस स्कूल में हालत यह है कि 7 शिक्षकों के तो 2 गैर शिक्षकों के पद खाली हैं, जिससे स्कूल का कामकाज प्रभावित हो रहा है। शिक्षकों के पद खाली होने की वजह से इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। स्कूल में कॉमर्स का एक, टी.जी.टी. आर्ट्स के 2 व ड्राइंग, पी.टी., डी.पी. तथा आई.पी. टीचर के पद रिक्त पड़े हुए हैं। न स्कूल में सीनियर असिस्टैंट है और न ही क्लर्क मौजूद है। अध्यापकों को ही सारा कार्य देखना पड़ रहा है।

वार्षिक परीक्षा परिणाम में आई गिरावट
स्कूल में अध्यापक न होने की वजह से इस बार का वार्पिक परीक्षा परिणाम भी काफी निराशाजनक रहा है। स्कूल में पहले 10वीं का वर्ष 2014-15 तथा 2015-16 के दौरान वाॢषक परीक्षा परिणाम जहां 77.08 व 64.29 प्रतिशत रहा, वहीं अध्यापकों की कमी की वजह से इस वर्ष यह परीक्षा परिणाम 54 प्रतिशत पर आ गया। यानी 55 बच्चों में से केवल 30 बच्चे ही पास हो सके। प्लस टू में भी यही स्थिति रही। 2015-16 के दौरान 164 बच्चों में से 121 पास हुए तथा इसका 73.78 प्रतिशत परिणाम रहा जबकि इस वर्ष 163 में से 111 बच्चे ही पास हुए और 68.1 प्रतिशत रिजल्ट रहा है। 

जिला में अध्यापकों के 80 से अधिक पद खाली
पूरे जिले की बात करें तो इस समय 80 से अधिक टी.जी.टी. आर्ट्स अध्यापकों के पद खाली पड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त कई दूसरे विषयों की भी भारी कमी है। स्कूलों को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है परन्तु उस अनुपात से टीचर ही नहीं हैं। कुछ नए अपग्रेड स्कूलों में तो बच्चे ही पर्याप्त नहीं हैं लेकिन जब स्कूल पदोन्नत कर दिया जाता है तो वहां हर विषय का अध्यापक रखना अनिवार्य होता है, ऐसे में सवाल यह है कि जब पुराने स्कूलों में ही अध्यापक और आधारभूत ढांचा नहीं है तो धड़ाधड़ नए स्कूलों को क्यों खोला जा रहा है। 

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