यहां बेटियों ने नहीं देखा स्कूल, लड़के पढ़ने की उम्र में कर रहे मजदूरी

Edited By Punjab Kesari, Updated: 14 Jul, 2017 12:36 AM

here daughters did not see the school  boys labour in the age of reading

चम्बा जिला के विकास के दावे गांव की ओर मुड़ते ही अचानक पिटने लगते हैं।

डल्हौजी: चम्बा जिला के विकास के दावे गांव की ओर मुड़ते ही अचानक पिटने लगते हैं। खासकर बेटियों की शिक्षा पर तो सरकारों और इन्हें चलाने वाले नेताओं की कार्यशैली को गंभीर सवालों से घेरती है। युवाओं की तालीम इसलिए पूरी नहीं हो रही है क्योंकि या तो वे गुरबत से घिरे अपने और अपने परिवार का पेट पालने के लिए पैसे कमाएं या फिर पढ़ाई करें। स्पष्ट है कि इन्हें पठन-पाठन को बीच में छोड़कर दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ रही है। बेटियों की अशिक्षा और युवाओं की कम पढ़ाई के 2 मामले डल्हौजी विधानसभा हलके से आ रहे हैं लेकिन कमोवेश ये हालात चम्बा जिला के हर विधानसभा हलके के हैं, जहां गांव में आज भी ऐसी बेटियां मिल जाएंगी, जिन्होंने स्कूल का मुंह तक नहीं देखा है। 

डैन कुंड में यह हालत है लड़कियों की
डल्हौजी से खजियार के रास्ते पर आते ही एक सड़क डैन कुंड की ओर निकल जाती है। इसी सड़क पर आगे बढ़ते हुए अचानक सड़क किनारे पर भैंसें चराती हुई किशोरवय लड़कियां मिलती हैं। हल्की बारिश के बीच हाथ में छाता पकड़े हुए भैंसों को चराते हुए आगे हांक रही होती हैं। पूछने पर बोलती हैं कि स्कूल तो गई नहीं आज तक, देखा ही नहीं स्कूल कैसा होता है, हम तो भैंसें ही चराती हैं। दोनों लड़कियां समुदाय विशेष की हैं। कहती हैं कि घर में और भी छोटी लड़कियां हैं, वो भी नहीं पढ़ती हैं। चम्बा जिला के गांव का यह मुंह बोलता हाल तो एक ही हलके का है लेकिन यह भी हकीकत है कि दूरदराज के जनजातीय और गैर-जनजातीय हलकों खासकर चुराह घाटी के दुर्गम इलाकों में बेटियों की अनपढ़ता आज भी एक अभिशाप बना हुआ है।

घर की माली हालत के चलते दिहाड़ीदार बन गए लड़के
इस पीढ़ी के वे लड़के जिन्हें पढ़-लिखकर अपने लिए रोजगार चुनने की दिशा में आगे बढऩे की जरूरत थी, उन्हें भी ग्रामीण इलाकों में कहीं 5वीं तो कहीं 8वीं जमात में पढ़ाई इसलिए छोडऩी पड़ रही है क्योंकि घर की माली हालत ऐसी है कि पढऩे-लिखने को पैसे नहीं हैं। पिता भी मजदूरी करते थे और अब अगली पीढ़ी भी दिहाड़ीदार हो गई है। खजियार रोड पर सड़क के किनारे एक ठेकेदार के यहां काम कर रहे कम उम्र के युवकों की जुबानी ये हालात सामने आ रहे हैं। कुल मिलाकर बाकी क्षेत्रों की हालत भी यही है। बेशक सरकारी अदारों में दबे पड़े आंकड़े कुछ और तस्वीर जिले की बनाते हों लेकिन हकीकत जो इन 2 नमूनों से सामने आई है, यह इससे भी भयावह हो सकती है।

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