यहां बदल गए सर्वशिक्षा अभियान के मायने, बच्चों से करवा रहे ये काम

Edited By Punjab Kesari, Updated: 23 Nov, 2017 12:15 AM

here changed meaning of sarva shiksha abhiyan  this work done from children

सर्वशिक्षा अभियान के तहत देश में सभी को शिक्षा के अवसर प्रदान करने की बात कही गई है लेकिन कुछ कारणों की वजह से आज भी....

हमीरपुर: सर्वशिक्षा अभियान के तहत देश में सभी को शिक्षा के अवसर प्रदान करने की बात कही गई है लेकिन कुछ कारणों की वजह से आज भी देश में केवल 74 प्रतिशत लोग ही शिक्षित हैं जो कि विश्व की औसतन साक्षरता दर 84 प्रतिशत के मुकाबले बहुत कम है। देश का सबसे साक्षर राज्य केरल है जहां औसतन साक्षरता दर 93 प्रतिशत है जबकि हिमाचल 84 प्रतिशत की औसतन साक्षरता दर के साथ 11वें पायदन पर है। हमीरपुर को प्रदेश का सबसे साक्षर जिला माना जाता है जहां 89 प्रतिशत जनता के साक्षर होने के आंकड़े हैं, ऐसे में प्रदेश के सबसे शिक्षित जिले में ही आज बच्चे भीख मांगते दिखाई दे रहे हैं। अब ये उनकी मजबूरी है या उनका पेशा इस बात की जानकारी केवल उन्हें ही है।

बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी किसकी कोई नहीं जानता
देश भर में सभी को शिक्षित करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं लेकिन इन बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी किसकी होगी ये कोई नहीं जानता। देश में सर्वशिक्षा अभियान के तहत 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त एवं जरूरी शिक्षा का प्रावधान है लेकिन बावजूद इसके आज भी बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल न जाकर भीख मांगने व काम करने के लिए मजबूर हैं। सरकार ने जरूरी शिक्षा की बात तो कह दी लेकि न वो जरूरी शिक्षा मिल भी रही है या नहीं इस बात का किसी को अंदाजा नहीं और शायद किसी को परवाह भी नहीं, ऐसे में बच्चे भी स्कूल न जाकर रास्तों पर लोगों से भीख मांग रहे हैं या फिर कहीं काम करके रोजी-रोटी कमा रहे हैं। इन बच्चों को शिक्षा लेने के लिए प्रेरित करने वाला या फिर उन्हें स्कूलों में दाखिला दिलवाने में मदद करने वाला कोई नहीं है। शिक्षा के लिए अभियान चला देना ही सब कुछ नहीं है, इसके लिए लोगों को प्रेरित करना और बच्चों में एक नई उमंग भरना व शिक्षा के माध्यम से अपनी जिंदगी को बेहतर करने की राह दिखाना जिससे उनमें खुद शिक्षा लेने का उत्साह पैदा हो, ऐसे अवसरों को प्रदान करना भी अनिवार्य है। 

एक जगह नहीं टिकते डेरे के लोग
डी.आई.ई.टी. प्रधानाचार्य जगदीश कौशल ने बताया कि ये डेरे के लोग एक जगह नहीं टिकते व अपनी जगह बदलते रहते हैं जिसकी वजह से इन बच्चों को स्कूलोंं में भेजना मुश्किल हो जाता है। स्कूल में दाखिला करवाने के बाद ये लोग अपनी जगह बदल लेते हैं और वहां दोबारा से भीख मांगना शुरू कर देते हैं जिससे कि इन डेरे के बच्चों को शिक्षा प्रदान करना कठिन हो जाता है।

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