वन भूमि पर अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट सख्त, वन सचिव को दिए ये आदेश

Edited By Punjab Kesari, Updated: 04 Feb, 2018 11:20 PM

hc strict on encroachment on forest land  these orders gave to forest secretary

प्रदेश हाईकोर्ट ने वन भूमि पर अतिक्रमणों को हटाने को लेकर दिए आदेशानुसार स्टेटस रिपोर्ट दायर न करने पर वन सचिव को फिर से ताजा स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए हैं।

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने वन भूमि पर अतिक्रमणों को हटाने को लेकर दिए आदेशानुसार स्टेटस रिपोर्ट दायर न करने पर वन सचिव को फिर से ताजा स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने वन विभाग को स्टेटस रिपोर्ट में यह स्पष्ट करने के आदेश दिए कि रविवार और अन्य छुट्टी वाले दिनों में वन भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त करने के लिए क्या-क्या किया। कोर्ट ने अवैध कब्जाधारियों से वन भूमि को छुड़ाने की मुहिम व छुड़ाई गई भूमि की विस्तृत जानकारी वैब पोर्टल सहित अन्य प्रचार के माध्यम से जनता तक पहुंचाने के आदेश भी दिए हैं। 

409 बीघा के करीब कब्जामुक्त की वन भूमि
कोर्ट को गई जानकारी में अतिरिक्त मुख्य सचिव वन ने हलफनामे के माध्यम से बताया कि 7 जनवरी से 15 जनवरी तक एक सप्ताह के भीतर 45 मामलों में 409 बीघा के करीब वन भूमि से सेब के पेड़ों को काटकर उसे कब्जा मुक्त किया गया। यह कार्रवाई शिमला, रामपुर, कुल्लू व मंडी में अमल लाई गई। रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान सबसे ज्यादा वन भूमि पर अतिक्रमण करने वाले रोहड़ू तहसील के गांव अर्हल में भागूराम से 73 बीघा 13 बिस्वा छुड़ाई गई। वन विभाग पूरे प्रदेश में हटाए गए या हटाए जा रहे वन भूमि से अवैध कब्जों का ब्यौरा देने में नाकाम रहा। हालांकि वन विभाग ने बताया कि हटाए गए कब्जों की जानकारी वैब पोर्टल पर डाली जा रही है। मामले पर सुनवाई 28 फरवरी को होगी। 

क्यों नहीं की अदालत के आदेशों की अनुपालना?
उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि वन विभाग के संबंधित अधिकारी कोर्ट में झूठे आंकड़े पेश कर अदालत को गुमराह करने की कोशिश करते हैं। कोर्ट ने वन विभाग के अधिकारियों से यह स्पष्ट करने को कहा था कि जब अदालत ने 5 बीघा से अधिक वन भूमि पर अतिक्रमण करने वाले कब्जाधारियों के कब्जे तुरंत हटाने के आदेश दिए थे तो उन्होंने अदालत के आदेशों की अनुपालना क्यों नहीं की। 

कार्रवाई के बारे में शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को बताएं 
कोर्ट ने वन विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिए कि वह अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ  की गई कार्रवाई शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को बताएं। कोर्ट ने अपने पिछले आदेशों में यह भी कहा था कि यह ग्राम पंचायत, ग्राम सभा, ग्राम समिति व जिला परिषद के पदाधिकारियों, वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा पुलिस प्रशासन का दायित्व है कि वह कोर्ट द्वारा वन भूमि से अतिक्रमण हटाने बाबत समय-समय पर जारी आदेशों की अक्षरश: अनुपालना सुनिश्चित करें। 

अमल में लाई जाएगी अवमानना की कार्यवाही 
कोर्ट ने खेद प्रकट किया था कि वन विभाग के कर्मी अवैध कब्जाधारियों से मिलकर अदालत के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि यदि वन विभाग के संबंधित अधिकारी कोर्ट के आदेशों की अनुपालना करने में नाकाम रहते हैं तो कोर्ट को अपने आदेशों की अक्षरश: अनुपालना करवाना बखूबी आता है अन्यथा इन सबके खिलाफ  अवमानना की कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

हटाए गए अतिक्रमणों की जानकारी वैब पोर्टल पर डालने के थे आदेश
वन भूमि पर अवैध कब्जों से जुड़े मामलों में वन विभाग को आदेश दिए गए थे कि वह हर सप्ताह वन भूमि से हटाए गए अतिक्रमणों की जानकारी अपने वैब पोर्टल पर डालें। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान की ने वन भूमि अतिक्रमण से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उपरोक्त आदेश पारित किए थे। कोर्ट ने वन विभाग को आदेश दिए थे कि पूरे प्रदेश में यह मुहिम जारी रखें और वन भूमि को अवैध अतिक्रमण से मुक्त कर अपने कब्जे में ले। 

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