42 दिनों के स्वर्ग प्रवास पर गए देवता, देव विधि अनुसार बंद हुए मंदिर के कपाट

Edited By Punjab Kesari, Updated: 14 Jan, 2018 07:52 PM

god went on heaven travel for 42 day  door of temple closed according to law

कुल्लू घाटी के जर्रे-जर्रे में देव आस्था का चमत्कारी प्रभाव अन्य राज्यों के लोगों के लिए किसी अचंभे से कम नहीं है।

मनाली: कुल्लू घाटी के जर्रे-जर्रे में देव आस्था का चमत्कारी प्रभाव अन्य राज्यों के लोगों के लिए किसी अचंभे से कम नहीं है। सदियों से चली आ रही देव अनुकंपा से ही घाटी के समस्त गांव की सत्ता चलती है। देव अनुकंपा का साक्षात उदाहरण रविवार को मनाली के ऐतिहासिक गांव गोशाल में देखने को मिला। गांव में देवलुओं ने देव विधि अनुसार देव आदेश लागू करवाए। आज से 42 दिन तक मंदिर का प्रांगण सुनसान रहेगा। न पूजा होगी और न ही मंदिर की घंटियां बजेंगी। देवालय की घंटियां बांध दी गईं और कपाट विधिपूर्वक बंद कर दिए गए। मान्यता अनुसार आज गोशाल के आराध्य देव गौतम, व्यास ऋषि और कंचन नाग देवता विधिपूर्वक स्वर्ग प्रवास के लिए चले गए। इस दौरान देवता तपस्या में लीन रहेंगे जिसके चलते मंदिर के प्रांगण सहित गांव का माहौल शांत रहेगा। 

देव वाद्य यंत्रों से गूंज उठा गांव
रविवार सुबह ही गांव देव वाद्य यंत्रों से गूंज उठा। आरध्य देवों के कारकून आज सुबह ही देव कार्य में व्यस्त हो गए। कारकूनों द्वारा मिट्टी छानकर मृदा लेप की विधि पूरी की गई। आज से 42 दिन बाद देवता के स्वर्ग प्रवास से वापस आते ही देवालय में रौनक लौटेगी और ग्रामीण देवता के आगमन की खुशी पर उत्सव मनाएंगे। देवता के पुजारी चमन लाल व कारदार हरि सिंह ने बताया कि 42 दिन बाद मृदा लेप हटाई जाएगी और देव कार्यक्रम में देवता साल भर की भविष्यवाणी से अवगत करवाएंगे। 

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