फोरलेन निर्माण कंपनी की मनमानी, ब्यास नदी में मक डंपिंग से बढ़ा बाढ़ का खतरा

Edited By Punjab Kesari, Updated: 10 Feb, 2018 02:27 PM

forelane manufacturing company s arbitrariness

फोरलेन निर्माण कार्य में जुटी कम्पनी पर्यावरण नियमों के साथ सरेआम खिलवाड़ कर रही है। हालत यह है कि नियमों को ताक पर रखकर 16 मील से 18 मील, ब्राण व क्लाथ से रांगड़ी तक ब्यास नदी में मक डंपिंग की जा रही है। हैरानी इस बात की है कि नैशनल ग्रीन...

मनाली : फोरलेन निर्माण कार्य में जुटी कम्पनी पर्यावरण नियमों के साथ सरेआम खिलवाड़ कर रही है। हालत यह है कि नियमों को ताक पर रखकर 16 मील से 18 मील, ब्राण व क्लाथ से रांगड़ी तक ब्यास नदी में मक डंपिंग की जा रही है। हैरानी इस बात की है कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पहले ही ब्यास नदी में मक डंपिंग करने पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद खुलेआम कम्पनी ब्यास को डंपिंग साइट बनाए हुए है। यही नहीं, सड़क किनारे भी कई स्थानों पर जगह-जगह मलबा फैंका जा रहा है। सब कुछ खुलेआम होने के बावजूद सरकारी तंत्र खामोश बैठा है।

नदी-नालों में मक डंपिंग करना अपराध
उल्लेखनीय है कि निर्माण कार्य में लगी किसी भी कम्पनी को वन विभाग की ओर से विशेष स्थान डंपिंग के लिए चिन्हित किया जाता है। नियमों के मुताबिक मनमर्जी से कहीं भी मलबा नहीं डाला जा सकता, वहीं नदी-नालों में किसी भी सूरत में मक डंपिंग करना अपराध है लेकिन यहां निर्माण कार्य में लगी कम्पनी सभी नियमों को धत्ता बताकर सीधे ब्यास नदी में ही मक डंपिंग कर रही है। इसके अलावा भी कई स्थानों पर सड़कों के किनारे मलबे के ढेर लगाए जा रहे हैं।

लोगों द्वारा आवाज उठाने के बावजूद नहीं हो रही कार्रवाई 
ग्राम पंचायत ब्राण के प्रधान चंदू राम व पंचायत प्रतिनिधि और 17 मील के ग्रामीणों ने आवाज उठाई थी लेकिन इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे कम्पनी के हौसले बुलंद हैं। स्थानीय लोगों पुष्पा कटोच, ठाकुर दास, यशपाल, बेरु देवी व लता आदि का कहना है कि मक डंपिंग के कारण नदी का रुख 18 मील गांव की ओर हो सकता है।


 
 

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