5 सालों से सरकार को करोड़ों के टैक्स का लगा था चूना, अब मिली सजा

Edited By Punjab Kesari, Updated: 15 Jan, 2018 10:03 AM

for 5 years the government had to pay crores tax  now the punishment

आबकारी एवं कराधान विभाग के दक्षिणी प्रवर्तन क्षेत्र परवाणु ने दवा निर्माण में लगे एक बड़े उद्योग को पौने 4 करोड़ रुपए से भी अधिक का टैक्स लगाया है। औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में यह दवा उद्योग पिछले 5 वर्षों से सरकार को करोड़ों रुपए के टैक्स का चूना...

सोलन: आबकारी एवं कराधान विभाग के दक्षिणी प्रवर्तन क्षेत्र परवाणु ने दवा निर्माण में लगे एक बड़े उद्योग को पौने 4 करोड़ रुपए से भी अधिक का टैक्स लगाया है।  औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में यह दवा उद्योग पिछले 5 वर्षों से सरकार को करोड़ों रुपए के टैक्स का चूना लगा रहा था। उद्योगपति को 3.85 करोड़ रुपए का टैक्स व ब्याज लगाया गया है, जिसमें से उसने 35 लाख रुपए सरकारी खजाने में जमा करवा दिए हैं और शेष राशि जमा करने के लिए एक महीने का समय दिया गया है।

दवाइयों पर 5 फीसदी की दर से टैक्स लगता है
इस बात का खुलासा तब हुआ जब दक्षिणी प्रवर्तन क्षेत्र की एक इंस्पैक्टर इस दवा उद्योग के जैसे ही नाम के अन्य व्यापारी की रिटर्न खंगाल रही थीं। दवा उद्योग की रिटर्न देखने पर पता चला कि उसकी बिक्री का बड़ा हिस्सा टैक्स फ्री दिखाया जा रहा है। हिमाचल में लगभग सभी प्रकार की दवाइयों पर 5 फीसदी की दर से टैक्स लगता है जबकि दवा उद्योग द्वारा कर मुक्त सामान बेचा जाना इस उद्योग को संदेह के घेरे में ले आया। आरंभ में उद्योगपति ने विभागीय कार्रवाई से बचने का प्रयास किया। जब उद्योगपति से उन दवाइयों को कर मुक्त घोषित करने की अधिसूचना प्रस्तुत करने को कहा तो उसने कुछ समय बाद अपनी पुरानी दलील पलटते हुए बताया कि वे दवाइयां कर मुक्त नहीं हैं अपितु उन्हें 1 फीसदी कर की दर से प्रदेश के बाहर बेचा गया है।

प्रदेश के खजाने को टैक्स चोरी से चूना लगाया जा सके
विभागीय जांच में पता चला कि उद्योगपति की यह दलील भी पूरी तरह गलत है क्योंकि न तो उसने 1 फीसदी की दर से उक्त बिक्री पर पिछले वर्षों में टैक्स जमा किया था और न ही सामान प्रदेश से बाहर ले जाते समय बैरियर पर इसकी कोई घोषणा की थी। इस उद्योग के उत्पादन का आधे से अधिक हिस्सा वास्तव ही में सी. फार्म द्वारा अंतर्राज्यीय व्यापार के तहत प्रदेश के बाहर बेचा जाता था। दक्षिणी प्रवर्तन क्षेत्र द्वारा चुनिंदा सी. फार्मों को प्रदेश की फोरैंसिक प्रयोगशाला जुन्गा भेजा गया। प्रयोगशाला द्वारा विस्तारपूर्वक विश्लेषण के पश्चात रिपोर्ट दी गई जिससे यह सिद्ध हो गया कि उद्योगपति ने सी. फार्मों पर अंकित मौलिक राशि में  परिवर्तन किए थे। किसी फार्म में 10 लाख, 20 लाख, 30 लाख तो किसी में 40-50 लाख तक जोड़ दिए गए थे ताकि प्रदेश के खजाने को टैक्स चोरी से चूना लगाया जा सके।


50 करोड़ रुपए की दवाइयों पर टैक्स की चोरी
उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त डा. सुनील कुमार ने बताया कि उद्योगपति ने 5 वर्षों में लगभग 50 करोड़ रुपए की दवाइयों पर टैक्स की चोरी की थी। टैक्स व ब्याज की कुल 3 करोड़ 85 लाख की राशि में से उद्योगपति ने 35 लाख रुपए जमा करवा दिए हैं।  इस मामले को खोजने में इंस्पैक्टर रीमा सूद ने अहम भूमिका निभाई है व उन्हें इस उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया है। अन्य अधिकारी जिन्होंने इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उनमें आबकारी एवं कराधान अधिकारी डा. अमित शोष्टा, इंस्पैक्टर रूपिंद्र सिंह, दीप चंद शर्मा, कुलदीप शर्मा, शशिकांत व मनोज सचदेवा शामिल हैं।

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