पिता लाचार, कैसे करवाए बीमार बेटे का उपचार

Edited By Punjab Kesari, Updated: 11 Mar, 2018 01:04 AM

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एक तरफ आर्थिक तंगहाली तो दूसरी तरफ पिछले 3 माह से बिस्तर पर बीमार पड़ा बेटा। लाचारी ऐसी कि पिता के पास इतने साधन भी नहीं कि वह अपने 21 वर्षीय बच्चे का सही ढंग से उपचार करवा पाए।

ऊना (सुरेन्द्र): एक तरफ आर्थिक तंगहाली तो दूसरी तरफ पिछले 3 माह से बिस्तर पर बीमार पड़ा बेटा। लाचारी ऐसी कि पिता के पास इतने साधन भी नहीं कि वह अपने 21 वर्षीय बच्चे का सही ढंग से उपचार करवा पाए। बेटा अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा तो पिता वहां उसकी देखभाल में जुटा हुआ है। बी.पी.एल. परिवार से संबंधित गुरपाल सिंह की आंखों के आंसू भी मानों सूख गए हैं। वह इस तलाश में है कि कोई मसीहा आए और उसकी मदद करे ताकि उसका बेटा फिर से सही हो सके। 

आई.टी.आई. से लौटते समय बीमार हुआ था कुलदीप
गगरेट के निकट गांव कलोह से संबंधित गुरपाल सिंह का 21 वर्षीय बेटा कुलदीप सिंह आई.टी.आई. से लौटते समय 8 जनवरी को बीमार हुआ था। उसके बाद उसे हरसंभव उपचार के लिए कई जगह ले जाया गया परन्तु दिन-प्रतिदिन स्थिति बिगड़ती गई। अब यह बेटा बिस्तर से उठ भी नहीं सकता है। माता-पिता ही उसकी सेवा में जुटे हैं। निर्धन परिवार से संबंधित गुरपाल सिंह के पास न तो पैसा है और न ही अन्य कोई साधन है। इस बीमार बेटे को लेकर गुरपाल सिंह पी.जी.आई. चंडीगढ़ में भी गया परन्तु पैसों के अभाव की वजह से उसे वापस ऊना अस्पताल लौटना पड़ा। 

बात करते आंखों से निकलने लगती है अश्रुधारा
बेहद तंगहाली के बीच गुरपाल सिंह टकटकी लगाए बैठा है कि शायद कोई मसीहा आए जो उसके बेटे को उपचार में मदद करे। अभी तक मुश्किल से ही वह अस्पताल में दिन काट रहा है। बात करते ही उसकी आंखों से अश्रुधारा निकलने लगती है। वहीं ग्राम पंचायत कलोह के प्रधान संजीव संधू ने माना कि परिवार बी.पी.एल. से संबंधित है। आय का कोई साधन नहीं है। बेटे की बीमारी की वजह से परिवार को गुजर-बसर करना मुश्किल हुआ है। कोई भी रोजगार न होने के चलते परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। 

फेफड़ों में हवा व पस भर जाने की वजह से स्थिति खराब : डा. शिवानी
क्षेत्रीय चिकित्सालय में इस बीमार युवक कुलदीप सिंह का उपचार कर रही डा. शिवानी का कहना है कि उसके फेफड़ों में इन्फैक्शन है। फेफड़ों में हवा और पस भर जाने की वजह से काफी स्थिति खराब है। उपचार के लिए इस मरीज को चंडीगढ़ ले जाया जाना जरूरी है परन्तु आॢथक तंगहाली की वजह से शायद वह चंडीगढ़ नहीं जा पा रहे हैं। अस्पताल में टी.वी. का नि:शुल्क उपचार किया जा रहा है परन्तु जो दूसरी दवाइयां आवश्यक हैं, उन्हें बाहर से ही लेना पड़ रहा है। 

3 माह से अस्पताल के काट रहा चक्कर 
गुरपाल सिंह ने बताया कि वह 3 माह से अपने बेटे को लेकर अस्पतालों के चक्कर काट रहा है। उसकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। बिना पैसे के वह कैसे अपने बेटे को महंगी दवाइयां ले व उसका उपचार करे, यह समझ से बाहर है। दिहाड़ी लगाकर ही वह गुजर-बसर करता था लेकिन अब 3 महीने से उसके पास कोई अन्य साधन नहीं है। 

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