Edited By Updated: 06 Dec, 2016 06:44 AM
एक तरफ नोटबंदी ने आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है तो दूसरी तरफ सूखे की वजह से किसान वर्ग पर मुसीबतों का पहाड़ गिर पड़ा है। विकास खंड गोहर के ज्यादातर किसान खेतों में गंदम व हरे मटर की बिजाई करते हैं। हरा मटर स्थानीय ...
गोहर: एक तरफ नोटबंदी ने आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है तो दूसरी तरफ सूखे की वजह से किसान वर्ग पर मुसीबतों का पहाड़ गिर पड़ा है। विकास खंड गोहर के ज्यादातर किसान खेतों में गंदम व हरे मटर की बिजाई करते हैं। हरा मटर स्थानीय किसान की मुख्य नकदी फसल है जबकि गंदम से साल भर का खाने को गुजारा होता है। किसान वर्ग का मानना है कि समय अपनी रफ्तार से चल रहा है और बिजाई का समय निकलता जा रहा है।
खेतों में नमी बिल्कुल नहीं है, बिजाई कैसे करेंगे। सूखे से परेशान किसानों ने बड़ा देव कमरुनाग के द्वार पर भी हाजिरी लगाई, मगर वहां भी निराशा ही हाथ लगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि देवता के गूर आपस में ही लड़ते रहते हैं किसी को भी जनता की चिंता नहीं है, केवल लालच से भरे हैं देवता के गूर। अपनी जेबें भरने के बारे में ही चिंतित रहते हैं। बारिश न होने के कारण व बार-बार बड़ा देव कमरुनाग के द्वार पर हाजिरी लगाने के बावजूद बारिश न होने के कारण देवता के गूरों पर भी जनता प्रश्रचिंह लगा रही है कि इनके पास देवता है भी कि नहीं। प्रशासन के बार-बार बुलाने पर भी देवता के गूर नहीं आ रहे। अब प्रशासन को कड़ा कदम उठाना पड़ेगा।