चुनावी थकान मिटाने के बाद लौटे नेता, भितरघात पर फिर मंथन शुरू

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Dec, 2017 09:19 AM

electoral fatigue to erase after returned leader

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा बागियों के सियासी रण में उतरने से परेशान हैं। अब दोनों दलों के नेताओं ने थकान मिटाने के बाद भितरघात पर मंथन शुरू कर दिया है।

शिमला: विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा बागियों के सियासी रण में उतरने से परेशान हैं। अब दोनों दलों के नेताओं ने थकान मिटाने के बाद भितरघात पर मंथन शुरू कर दिया है। इनमें से कई नेता ऐसे हैं जो सत्ता में रहते हुए मलाईदार पदों पर बैठे रहे और अंतिम समय में टिकट न मिलने पर बगावत पर उतर आए। इसमें सत्तारूढ़ दल में मुख्य रूप से मेजर विजय सिंह मनकोटिया, हरीश जनारथा और बावा हरदीप सिंह को निगम-बोर्ड में अहम पद दिए गए। मेजर मनकोटिया ने पहले की तरह चुनावी वर्ष में अपने तेवर तीखे कर दिए और पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे। ऐसा ही हरीश जनारथा और बावा हरदीप सिंह ने भी किया। 


कांग्रेस पार्टी ने अपनों के साथ भी चुनाव के समय में की बगावत 
इन दोनों नेताओं ने अंतिम समय में टिकट न मिलने पर पार्टी का साथ छोड़ दिया। इसके विपरीत कांग्रेस ने 10 नेताओं को चुनाव से ठीक पहले संगठन में अहम दायित्व सौंपकर पार्टी का साथ देने के लिए मनाया लेकिन चुनाव के बाद इन नेताओं की नियुक्तियां रद्द कर दीं। इनमें से अब तक सिर्फ पूर्व विधायक योगराज को फिर से प्रदेश महासचिव के स्थान पर प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर तैनाती दी है। यानी कांग्रेस पार्टी ने अपनों के साथ भी चुनाव के समय में बगावत की। पूर्व मंत्री सिंघी राम भी कांग्रेस से टिकट न मिलने पर इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे हैं।


भाजपा में कांग्रेस की तरह टिकटों के आबंटन को लेकर नाराजगी 
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स ने हालांकि पार्टी के खिलाफ बगावत नहीं की लेकिन हां-नहीं करते हुए उन्होंने आनन-फानन में ठियोग से नामांकन पत्र भरा जो बाद में रद्द हो गया। भाजपा में कांग्रेस की तरह टिकटों के आबंटन को लेकर नाराजगी है। विधायक रिखी राम कौंडल, गोविंद राम शर्मा, डा. अनिल धीमान और बी.के. चौहान को भाजपा ने इस बार टिकट नहीं दिया है। इनमें से 3 विधायक तो चुनाव मैदान में नहीं उतरे लेकिन बी.के. चौहान मैदान में डटे होने के बावजूद बाद में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में आ गए। इस कारण उनके निष्कासन को बाद में वापस लिया गया। 


भाजपा के कई अन्य नेता अपनी अनदेखी के चलते चुनाव मैदान में कूदे
भाजपा के कई अन्य नेता अपनी अनदेखी के चलते चुनाव मैदान में कूद गए। इसमें पालमपुर से भाजपा प्रत्याशी इंदु गोस्वामी के खिलाफ पूर्व विधायक प्रवीण शर्मा, फतेहपुर से भाजपा प्रत्याशी कृपाल परमार के खिलाफ भाजपा सरकार में पूर्व मंत्री रहे डा. राजन सुशांत चुनाव मैदान में हैं। इसी तरह हृदय राम और एम.डी. शर्मा भी पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ बगावत करने के कारण निष्कासित किए गए हैं। अब मतगणना का एक सप्ताह शेष रहने से पहले कांग्रेस-भाजपा में फिर से सियासी उथल-पुथल शुरू हो गई है। चुनावी थकान को मिटाने गए नेता भी अब अपने क्षेत्रों में लौटने लगे हैं तो कुछ चुनाव प्रचार के लिए गुजरात भी गए, जिसमें नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती शामिल हैं।


वीरभद्र-धूमल ने केरल में मिटाई थकान
विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश की राजनीति के 2 धुरंधर नेता मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और नेता प्रतिपक्ष प्रो. प्रेम कुमार धूमल केरल में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से थकान मिटाने गए। इस दौरान मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने परिवार सहित धार्मिक यात्रा भी की जबकि नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल गुजरात विधानसभा में चुनाव प्रचार करने गए। अबचुनाव परिणाम की घड़ी निकट आने लगी है तो कांग्रेस-भाजपा के नेता वापस लौटने लगे हैं। वीरभद्र सिंह और प्रो. प्रेम कुमार धूमल के अलावा प्रदेश के कई अन्य नेताओं ने भी इस दौरान धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों की यात्रा की। यात्रा से लौटने के बाद नेता अब एक बार फिर से बूथ स्तर से लेकर अंक गणित करने में जुट गए हैं। 


कांग्रेस ने 52 तो भाजपा ने 10 को किया निष्कासित
बगावत के कारण कांग्रेस ने अब तक 52 और भाजपा ने 10 नेताओं को निष्कासित किया है। चुनाव परिणाम से एक सप्ताह पहले फिर से बगावत करने वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं के खिलाफ विरोध के स्वर उठना शुरू हो गए हैं। हालांकि अब कांग्रेस और भाजपा अंतिम चुनाव परिणाम आने के बाद ही कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं। जानकारी के अनुसार कांग्रेस अभी भी करीब 3 दर्जन से अधिक नेताओं व कार्यकर्ताओं के खिलाफ मिली शिकायतों पर विचार कर रही है और इस पर निर्णय चुनाव परिणाम आने के बाद किया जाएगा। भाजपा ने भी मंडल स्तर से 10 दिसम्बर तक रिपोर्ट मांगी थी, जिस पर चुनाव परिणाम आने के बाद ही कार्रवाई होगी। भाजपा ने इससे पहले श्यामा शर्मा सहित कई अन्य नेताओं के मंडल पर किए गए निष्कासन व निलंबन को रद्द कर दिया है। यानी पार्टी में मंडल स्तर पर नहीं अब प्रदेश स्तर पर चर्चा करने के बाद कार्रवाई होगी, जिसमें प्रदेशाध्यक्ष की स्वीकृति लेना जरूरी है। 


इन नेताओं ने बिगाड़े कांग्रेस-भाजपा के समीकरण
कांग्रेस-भाजपा दोनों दलों के लिए बागी सिरदर्द बने हुए हैं। इसमें पालमपुर से भाजपा के लिए प्रवीण शर्मा, श्री रेणुका जी से हृदय राम, भरमौर से ललित ठाकुर और फतेहपुर से डा. राजन सुशांत प्रमुख हैं। डा. सुशांत हालांकि पहले से ही भाजपा से निष्कासित हैं लेकिन वह पार्टी के समीकरण बिगाड़ सकते हैं। कांग्रेस में शाहपुर से मेजर विजय सिंह मनकोटिया, रामपुर से सिंघी राम, शिमला से हरीश जनारथा और नालागढ़ से बावा हरदीप सिंह शामिल हैं। ये नेता कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। इसके अलावा कांग्रेस में ठियोग में टिकट वितरण को लेकर भी सवाल उठे हैं। यहां से दीपक राठौर को टिकट दिए जाने से दिग्गज कांग्रेसी नाराज हैं। स्वयं मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह शिमला और ठियोग में टिकट वितरण से संतुष्ट नहीं हैं। 

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