चुनावों को लेकर आऊटसोर्स कर्मचारियों ने सरकार को दी यह धमकी

Edited By Punjab Kesari, Updated: 20 Sep, 2017 09:16 AM

election to take outsourced employees has to government this threat

मांगें पूरी न होती देख आऊटसोर्स कर्मचारी महासंघ सरकार के खिलाफ मुखर हो गया है।

शिमला: मांगें पूरी न होती देख आऊटसोर्स कर्मचारी महासंघ सरकार के खिलाफ मुखर हो गया है। महासंघ ने आने वाले विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की धमकी दे डाली है। महासंघ ने स्पष्ट किया है कि यदि सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीरता नहीं दिखाती है तो विभिन्न विभागों में कार्यरत 35000 कर्मचारी और उनके पारिवारिक सदस्य विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। 18 सितम्बर को हुई कैबिनेट की बैठक से मिली निराशा के बाद महासंघ ने यह ऐलान किया है। महासंघ के पदाधिकारियों के अनुसार आऊटसोर्स कर्मचारियों को आशा थी कि मंत्रिमंडल की बैठक में आऊटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति या फिर वेतन बढ़ौतरी में मोहर लगेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। 


आऊटसोर्स कर्मचारियों की अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई
महासंघ का कहना है कि सरकार ने सभी वर्गों कम्पयूटर शिक्षकों, पी.टी.ए. शिक्षक, पैरा शिक्षकों, ई-गवर्नैंस कर्मचारियों व सोसायटी कर्मचारियों सहित अन्यों को कुछ न कुछ दिया है लेकिन आऊटसोर्स कर्मचारियों की अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। पदाधिकारी बताते हैं कि आऊटसोर्स कर्मचारी विभिन्न सरकारी विभागों में बीते 15 सालों से कार्य कर रहे हैं और उनको महज 5 से 7 हजार रुपए वेतन मिल रहा है। इसके विपरीत आऊटसोर्स कर्मचारियों के वेतन से कंपनी और ठेकेदार करोड़ों रुपए बैठे-बैठे कमा रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार ठेका प्रथा बंद नहीं करना चाहती। महासंघ के अनुसार अब यह सरकार को ही तय करना है कि उसने 35000 परिवारों का भविष्य तय करना है या फिर कंपनी राज स्थापित करना है। 


चुनावी वायदा नहीं किया पूरा
आऊटसोर्स कर्मचारी महासंघ का कहना है कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में भी आऊटसोर्स कर्मचारियों को विभागों में मर्ज करने की बात कही है लेकिन सत्ता में आने के बाद भी सरकार ने अपना चुनावी वायदा अभी तक पूरा नहीं किया है। इसके साथ ही सरकार ने अपने 4 वर्ष पूर्ण होने, बजट और आऊटसोर्स कर्मचारियों के सम्मेलन में भी उनके लिए नीति बनाने की बात कही थी। आरोप हैं कि सरकार ने केवल आऊटसोर्स कर्मचारियों के नाम पर राजनीति की है जबकि उनके हित सुरक्षित करने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाया। 

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