हिमाचल में इन दिग्गजों की साख व राजनीतिक भविष्य तय करेगा चुनाव परिणाम

Edited By Punjab Kesari, Updated: 17 Dec, 2017 11:41 AM

election result will decide the goodwill and political future of leaders

हिमाचल प्रदेश की राजनीति के कई दिग्गजों के भविष्य का निर्णय यह चुनाव करेंगे।

पालमपुर: हिमाचल प्रदेश की राजनीति के कई दिग्गजों के भविष्य का निर्णय यह चुनाव करेंगे। कई दशकों से राजनीति के इन धुरंधरों में से कई तो जनता पार्टी के समय से प्रदेश की राजनीति में अपना वर्चस्व बनाए हुए हैं। ऐसे में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के परिणाम इन दिग्गजों के भविष्य का निर्णय भी करेंगे। चुनाव में इन दिग्गजों की साख व राजनीतिक भविष्य भी जुड़ा हुआ है। लोकसभा चुनाव में बंपर जीत के पश्चात विधानसभा चुनाव में सांसदों की कार्यप्रणाली की भी परीक्षा होगी। भाजपा ने प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी तो 68 में से 59 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा बढ़त बनाने में सफल रही थी। यह स्थिति वर्ष 2012 के चुनाव से हटकर थी तथा भाजपा ने इन लोकसभा चुनावों में लगभग 53 प्रतिशत मत प्राप्त किए थे। 
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17 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने बनाई थी बढ़त
कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने बढ़त बनाई थी तो हमीरपुर में हरोली विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर अन्य सभी 16 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की बढ़त रही थी। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू का नादौन विधानसभा क्षेत्र भी शामिल रहा था। शिमला संसदीय क्षेत्र में श्री रेणुका जी, शिलाई तथा रोहड़ू में भाजपा पिछड़ी थी जबकि मंडी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसे जा रहे थे जहां कांग्रेस को बढ़त मिली थी। इनमें भरमौर, सिराज, लाहौल, रामपुर व किन्नौर शामिल हैं, अन्य सभी 12 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने बढ़त बनाई थी। ऐसे में विधानसभा चुनावों के परिणाम भी सांसदों की कार्यप्रणाली पर जनादेश माना जा रहा है।

वीरभद्र सिंह
कांग्रेस के 7वीं बार मुख्यमंत्री प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे वीरभद्र सिंह (83) इस बार अर्की विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। वह अपने राजनीतिक जीवन में रामपुर, रोहड़ू, जुब्बल-कोटखाई तथा शिमला ग्रामीण के विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ चुके हैं। गत विधानसभा चुनाव में वह शिमला ग्रामीण से निर्वाचित हुए थे। वीरभद्र सिंह 1983, 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2007 तथा 2012 में विधायक चुने गए।
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प्रेम कुमार धूमल
नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल (73) को भाजपा ने मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया है। वह इस बार सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। वर्ष 2012 में वह हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत कर विधानसभा में पहुंचे थे। वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में वह बमसन से निर्वाचित हुए तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
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गुलाब सिंह ठाकुर
कभी 27 वर्ष की आयु में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर विधानसभा पहुंचने वाले गुलाब सिंह ठाकुर प्रदेश की राजनीति के उन पुराने खिलाडिय़ों में शामिल हैंजो दशकों से प्रदेश की राजनीति में वर्चस्व बनाए हुए हैं। विधानसभा अध्यक्ष पद का दायित्व संभाल चुके गुलाब सिंह कांग्रेस पार्टी के टिकट पर भी चुनाव लड़ चुके हैं। अपने राजनीतिक जीवन में 11वीं बार चुनाव मैदान में उतरे ठाकुर गुलाब सिंह को 7 बार जीत प्राप्त हुई है।। 70 वर्षीय ठाकुर गुलाब सिंह एक बार पुन: चुनाव मैदान में अपना दमखम दिखा रहे हैं। 
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सुजान सिंह पठानिया
कांगड़ा के फतेहपुर से चुनाव मैदान में उतरे सुजान सिंह पठानिया (75)वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव में पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। उसके पश्चात वह वर्ष 1990, 1993, 2003 व 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में विजयी रहे थे, वहीं एक उपचुनाव में भी सुजान सिंह पठानिया जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। एक बार फिर कांग्रेस टिकट पर सुजान सिंह पठानिया चुनाव मैदान में हैं।
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विप्लव ठाकुर
देहरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में उतरी कांग्रेस दिग्गज विप्लव ठाकुर (74) की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव से जुड़ी है। पूर्व में राज्यसभा सांसद रहीं विप्लव ठाकुर 5 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं, जिनमें से 3 बार वह चुनाव जीतने में सफल रही हैं तो 2 बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। विप्लव ठाकुर को 1985, 1993 व 1998 के विधानसभा चुनाव मेंं जीत मिली थी तो वर्ष 1990 और 2003 में हार का सामना करना पड़ा था।
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ठाकुर कौल सिंह
जनता पार्टी से अपनी चुनावी पारी आरंभ करने वाले ठाकुर कौल सिंह (72) के लिए भी यह चुनाव महत्वपूर्ण है। 9 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके ठाकुर कौल सिंह को 8 बार जनता का विश्वास प्राप्त हुआ तथा मात्र 1990 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। मंडी जनपद के द्रंग विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे ठाकुर कौल सिंह के राजनीतिक भविष्यकी दशा व दिशा को भी ये चुनाव निर्धारित करेंगे। 
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गंगूराम मुसाफिर
राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी गंगूराम मुसाफिर (72) 7 बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 1982 से निरंतर 6 चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में तथा एक बार निर्दलीय चुनाव जीत चुके गंगूराम मुसाफिर को वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। कांग्रेस ने एक बार पुन: गंगूराम मुसाफिर पर अपना भरोसा जताते हुए पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से उन्हें चुनावी समर में उतारा है। 
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जी.एस. बाली
वर्ष 1998 में ओ.बी.सी. बहुल नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचने वाले जी.एस. बाली निरंतर 4 बार चुनाव जीत चुके हैं। वर्तमान कांग्रेस सरकार में मंत्री परिषद सदस्य जी.एस. बाली के लिए भी विधानसभा चुनाव साख का प्रश्न बन चुका है।
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महेंद्र सिंह
मंडी जनपद के धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतरे महेंद्र सिंह (67) जब भी चुनाव मैदान में उतरे, उन्हें जीत प्राप्त हुई है। अब तक 6 बार विधायक बन चुके महेंद्र सिंह ने 1990 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी।
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रविंद्र सिंह रवि
5 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके रविंद्र सिंह रवि दूसरी बार देहरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में थुरल विधानसभा क्षेत्र से अपने राजनीतिक जीवन को प्रारंभ किया। वर्ष 2012 वह देहरा से बड़े अंतर से जीत दर्ज करने में सफल रहे।
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मनसा राम
करसोग से कांग्रेस प्रत्याशी मनसा राम (76) ने वर्ष 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ कर प्रदेश विधानसभा में दस्तक दी थी। वर्ष 1972 व 1982 में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते तथा वर्ष 1998 में मनसा राम हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। वर्ष 2012 में कांग्रेस प्रत्याशी के  रूप में चुनाव जीते।
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