गुड़िया मामला : लॉकअप हत्याकांड से जुड़ा वायरल पत्र निकला असली (Video)

Edited By Punjab Kesari, Updated: 24 Feb, 2018 10:48 PM

कोटखाई गुड़िया प्रकरण से जुड़े पुलिस लॉकअप हत्याकांड मामले में वायरल पत्र फर्जी नहीं बल्कि असली है।

शिमला (राक्टा): कोटखाई गुड़िया प्रकरण से जुड़े पुलिस लॉकअप हत्याकांड मामले में वायरल पत्र फर्जी नहीं बल्कि असली है। कंडा जेल में बंद एच.एच.सी. मोहन लाल ने ही करीब 4 या 5 दिन पहले संबंधित पत्र लिखा था और जेल मैनअुल के अनुसार संबंधित पत्र को आगे प्रेषित किया गया। हालांकि अभी यह खुलासा नहीं हो पाया है कि पत्र कैसे वायरल हो गया। इस पूरे मामले को जेल विभाग ने भी गंभीरता से लिया है और जांच शुरू कर दी है। न्यायिक हिरासत में चल रहे एच.एच.सी. ने पत्र के माध्यम से सी.बी.आई. की जांच पर कई सवाल खड़े किए हैं।

गवाह बना संतरी भी हत्याकांड में शामिल
पत्र के माध्यम से कहा गया है कि पुलिस लॉकअप हत्याकांड में सी.बी.आई. ने जिस संतरी को सरकारी गवाह बनाया है, वह भी सूरज हत्याकांड में शामिल था। आरोप लगाया गया है कि सी.बी.आई. ने सच्चाई को जाने बिना एक संतरी के कहने पर इस मामले में जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल कर ली जबकि वास्तविकता कुछ और ही है। सी.बी.आई. की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में आरोपी पुलिस कर्मी ने मामले की जांच सी.आई.डी. या एन.आई.ए. से करवाने की भी मांग की गई है। 

पुलिस विभाग-सी.बी.आई. में मचा हड़कंप
वायरल पत्र में पुलिस महकमे के साथ-साथ सी.बी.आई. में भी हड़कंप मचा हुआ है। मोहन लाल ने लॉकअप में सूरज की हुई हत्या के बारे में पूरी कहानी पत्र के माध्यम से बयां की है। आरोप लगाया है कि जांच एजैंसी ने उसके बयानों की अनदेखी जान-बूझकर की। उल्लेख किया गया है उसने सी.बी.आई. अधिकारियों को बताया था कि सूरज की हत्या थाने में किस तरह हुई है लेकिन उसकी बातों का कोई संज्ञान नहीं लिया गया।

कहां तक पहुंची गुड़िया केस की जांच : मदद सेवा ट्रस्ट
गुडिय़ा केस को लेकर बनी असमंजस की स्थिति पर मदद सेवा ट्रस्ट ने सी.बी.आई. को आड़े हाथ लिया है। ट्रस्ट की अध्यक्ष तनुजा थापटा और एडवोकेट पवार ने यहां जारी बयान में कहा कि गुड़िया केस में जिस तरह से जांच एजैंसियों ने जनता को गुमराह किया है, यह बेहद शर्मनाक है। उक्त पदाधिकारियों ने कहा कि गुड़िया को न्याय दिलाने के लिए प्रदेश की जनता द्वारा आंदोलनों व अनशन की राह अपनाई गई लेकिन केस की जांच कहां तक पहुंची है, उसको लेकर प्रदेशवासियों में असमंजस बना हुआ है। वहीं अब जो एक वायरल पत्र सामने आया है, उसने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। तनुजा थापटा और पवार ने पूछा है कि क्या यह जांच एजैंसी, पुलिस व राजनेताओं की जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वे जनता को बताएं कि इस मामले की जांच कहां तक पहुंची है। 

गैंगरेप और मर्डर मिस्ट्री को सुलझा नहीं पाई सी.बी.आई. 
बहुचर्चित गुड़िया गैंगरेप और मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में अभी तक केंद्रीय जांच एजैंसी सफल नहीं हुई है। पिछले करीब 7 माह से सी.बी.आई. इस मामले की जांच कर रही है लेकिन अभी तक कोई भी आरोपी बेनकाब नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि गुड़िया केस को सुलझाने के लिए गठित की गई पुलिस की एस.आई.टी. टीम जेल में है जबकि उसके कातिल अभी तक बेनकाब नहीं हुए हैं। 

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