Edited By Punjab Kesari, Updated: 26 Jul, 2017 10:36 PM
कारगिल विजय दिवस पर जिला भाजपा द्वारा स्थानीय बचत भवन में आयोजित शहीद सैनिकों के परिजनों के सम्मान समारोह में भाग लेने के उपरांत पूर्व प्रधानमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने....
हमीरपुर: कारगिल विजय दिवस पर जिला भाजपा द्वारा स्थानीय बचत भवन में आयोजित शहीद सैनिकों के परिजनों के सम्मान समारोह में भाग लेने के उपरांत पूर्व प्रधानमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने प्रैस वार्ता में कहा कि देश में कश्मीर समस्या और आतंकवाद केंद्र में रही पूर्व कांग्रेस सरकारों की गलत नीतियों का नतीजा है। उन्होंने कहा कि 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान सेना नहीं हारी थी बल्कि उस समय बातचीत के टेबल पर हार गए थे। यही कारण है कि आज चीन भारत को बार-बार 1962 के युद्ध की याद दिलाकर डराना चाहता है लेकिन केंद्र की सशक्त मोदी सरकार की विदेश मंत्री ने चीन को उसी की भाषा में स्पष्ट संकेत दे दिया है कि हिन्दुस्तान अब 1962 का नहीं बल्कि 2017 का नया भारत बन गया है।
1971 में स्व. इंदिरा गांधी ने की थी एक और गलती
उन्होंने कहा कि इसी तरह की एक और गलती 1971 में भारत-पाक युद्ध में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी ने की थी। अगर उस दौरान भारतीय फौज द्वारा बंदी बनाए पाक सेना के 93,000 सैनिकों को बिना शर्त नहीं छोड़ा जाता तो आज कश्मीर समस्या नहीं रहती। उन्होंने कहा कि देश में 1999 कारगिल युद्ध के दौरान ही शहीद सैनिकों को पूरा मान-सम्मान मिला और उनकी पाॢथव देह पूरे राजकीय सम्मान के साथ घर पहुंची। उन्होंने कहा कि हिमाचल में बन रही रोहतांग टनल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की देन है और इस टनल का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से रखा जाए।
अटल बिहारी वाजपेयी युद्ध स्थल पर गए थे सैनिकों का हौसला बढ़ाने
उन्होंने कहा कि 1999 में भारत-पाक के बीच हुए कारगिल युद्ध के दौरान भारत को ऐसा प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में मिला जोकि सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए युद्ध स्थल तक गए और जब तक भारत ने युद्ध नहीं जीत लिया तब तक अमरीका के राष्ट्रपति से न बात की और न ही उनसे मिलने अमरीका गए। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद देश को दोबारा एक बार फिर से सशक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में मिला है। इस अवसर पर उन्होंने कारगिल युद्ध में शहीद हुए प्रदेश के उन सभी 52 सैनिकों को भी नमन किया, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर किए थे।