देवभूमि के 2500 सरकारी स्कूलों से मैरिट में एक छात्रा

Edited By Updated: 11 May, 2017 03:44 PM

devbhomi of 2500 government schools merit from in a student

राज्य सरकार शिक्षा के व्यवसायीकरण पर अभी तक लगाम नहीं लगा पा रही है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरना राज्य सरकार की नाकामी है....

बिलासपुर: राज्य सरकार शिक्षा के व्यवसायीकरण पर अभी तक लगाम नहीं लगा पा रही है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरना राज्य सरकार की नाकामी है। पूर्व प्रधान रंगील सिंह वर्मा, हेमराज शर्मा, राम प्रकाश वशिष्ठ, सेवानिवृत्त अध्यापक चैन सिंह, हुकम सिंह ठाकुर, प्रेम लाल, सोहन सिंह ठाकुर, सरदार रूप सिंह, कैप्टन नंद लाल, जिला परिषद सदस्य पुष्पा कुमारी व बृज लाल शर्मा आदि का कहना है कि हाल ही में निकले 10वीं कक्षा के परिणाम में राज्य में 2500 स्कूलों में से केवल मात्र एक ही छात्रा मैरिट सूची में अपना नाम दर्ज करवा पाई। यह भी कोई हैरानी की बात नहीं है कि निजी स्कूलों में ही अधिक मैरिट सूची में विद्यार्थियों के नाम आए हैं क्योंकि निजी स्कूल पहले से ही मैरिट में आने वाले बच्चों के दाखिले करते हैं। 


कुछ निजी स्कूलों के प्रबंधन मनमानी फीस ले रहे
उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरी में चाहे अध्यापक हों, चाहे किसी भी विभाग के कर्मचारी हों उन सबके बच्चे अधिकतर निजी स्कूलों में ही पढ़ते हैं। कुछ निजी स्कूलों के प्रबंधन मनमानी फीस व दाखिला ले रहे हैं। बच्चों की वर्दियां भी अपनी पसंद की जगह से सस्ते दामों में लाकर बच्चों से मनमर्जी के दाम वसूल कर रहे हैं जो कि एक चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के प्रबंधन हर साल प्रत्येक कक्षा में भारी दाखिला फीस ले रहे हैं जो औसत 5 हजार से 20-20 हजार तक ली जा रही है। मासिक फीस भी भारी ली जा रही है। वर्दियां व किताबें भी अपनी देकर कमाई का साधन बनाया हुआ है।  


ये हैं गिरते परिणाम के कारण  
सरकारी स्कूलों में शिक्षा का प्रसार और प्रचार तथा आधारभूत ढांचा पर्याप्त मात्रा में है। केवल मात्र अध्यापकों की कमी, स्कूलों में पक रही खिचड़ी, पहली से 8वीं तक की कक्षाओं में फेल न करने की नीति से, 5वीं, 8वीं व 11वीं की शिक्षा बोर्ड की परीक्षा न लेना आदि के कारण स्कूलों की शिक्षा का स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है।  


शिक्षकों की जवाबदेही हो सुनिश्चित 
किसान नेता बृज लाल शर्मा का कहना है कि सरकार को निजी स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से ली जा रही फीस पर अंकुश लगाना चाहिए। स्कूलों के गिरते हुए शिक्षा स्तर को मद्देनजर रखते हुए शिक्षकों की जवाबदेही सुनिश्चित करे। 

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