Edited By Punjab Kesari, Updated: 14 Aug, 2017 04:57 PM
कहते हैं कि वक्त बड़े से बड़े जख्मों को भर देता है। जख्म तो भर जाते हैं, लेकिन उनके निशान काफी हद तक रह जाते हैं। ऐसे ही कोटरोपी त्रासदी में लोगों को मिले जख्म भी शायद वक्त के साथ भर जाएं।
मंडी (नितेश): कहते हैं कि वक्त बड़े से बड़े जख्मों को भर देता है। जख्म तो भर जाते हैं, लेकिन उनके निशान काफी हद तक रह जाते हैं। ऐसे ही कोटरोपी त्रासदी में लोगों को मिले जख्म भी शायद वक्त के साथ भर जाएं। वैसे तो पूरा प्रदेश इस हादसे के जख्मों से शोक में है। सेना और पुलिस अपना मोर्चा संभाले हुए है। चारों ओर फैली तबाही इस बात की गवाही दे रही है कि हादसा कितना भयावह होगा। प्रशासन की जेसीबी मशीनें लगातार मलबे को हटा रहीं हैं। जैसे-जैसे मलबा हटता जा रहा है लाशों के ढेर लगते जा रहे हैं। सफेद कफन में लिपटी लाशों को देखकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो रहे हैं।
मंडी के कोटरोपी में पहाड़ी दरकने से हुआ यह हादसा
शनिवार देर रात को मंडी के कोटरोपी में पहाड़ी दरकने से यह हादसा हुआ। हादसे में अब तक 46 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं। गांव के लोगों के अनुसार कोटरोपी में हर 20 साल बाद भूस्खलन होता है। कहा जा रहा है कि इससे ठीक 20 साल पहले और उससे भी 20 साल पहले इसी जगह पर भूस्खलन हो चुका है। इस घटना के ठीक 20 साल बाद 12 अगस्त की रात को फिर यहीं भूस्खलन हुआ। इस दावे पर यकीन करें तो लगता है कि कुछ तो संयोग है।