Edited By Punjab Kesari, Updated: 05 Feb, 2018 12:36 AM
सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि लोकसभा व राज्यसभा में हिमाचल प्रदेश से भाजपा के 5 सांसद होने के बावजूद प्रदेश की झोली खाली है और पांचों सांसद हिमाचली हितों की लड़ाई लडऩे में नाकाम साबित हुए हैं।
सुजानपुर: सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि लोकसभा व राज्यसभा में हिमाचल प्रदेश से भाजपा के 5 सांसद होने के बावजूद प्रदेश की झोली खाली है और पांचों सांसद हिमाचली हितों की लड़ाई लडऩे में नाकाम साबित हुए हैं। उन्होंने प्रैस बयान में कहा कि जब केंद्र में यू.पी.ए. सरकार थी तब यह कहकर यहां के सांसद अपना पल्ला झाड़ लेते थे कि उनकी केंद्र में सुनवाई नहीं हो रही है लेकिन अब केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद हिमाचल के सांसद अपने हलकों के लिए न तो केंद्र से कोई सौगातें ला पा रहे हैं और न ही अपने हलकों की जनता को दिखाए सपनों को पूरा कर पा रहे हैं।
रेल की सीटी सुनने को तरस रही हमीरपुर की जनता
उन्होंने कहा कि हमीरपुर की जनता रेल की सीटी सुनने को अभी तक तरस रही है जबकि यहां के सांसद कई सालों से यही दावे करते चले आ रहे हैं कि उन्होंने हमीरपुर की जनता को रेल का तोहफा दिलवा दिया है। उन्होंने कहा कि इस संसदीय क्षेत्र की जनता को बजट के अगले दिन सभी समाचार पत्रों को बार-बार पढऩे के बावजूद भी यह खबर पढऩे को नहीं मिली कि हमीरपुर रेल लाइन के लिए केंद्र ने कोई राशि जारी कर दी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का 5वां बजट भी निकल गया लेकिन हमीरपुर में एक इंच भी रेल लाइन नहीं बिछ पाई।
जनता को दस्तावेज दिखाएं सांसद
उन्होंने कहा कि यहां की जनता सांसद से उन दस्तावेजों को दिखाने की मांग कर रही है जिसमें वह बार-बार दावा करते हैं कि उन्होंने 2800 करोड़ से अधिक राशि इस रेल लाइन के लिए मंजूर करवा रखी है। उन्होंने कहा हमीरपुर के सांसद यह भी बताएं कि ऊना जिला में स्वां तटीकरण के लिए पूर्व यू.पी.ए. सरकार द्वारा स्वीकृत किए गए प्रोजैक्ट की राशि को केंद्र सरकार से वह जारी क्यों नहीं करवा पा रहे हैं और मोदी सरकार ने इसकी किस्तें क्यों रोक रखी हैं और कौन इसकी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा है।
हिमाचल को न तो औद्योगिक पैकेज और न ही आर्थिक पैकेज मिला
राजेंद्र राणा ने कहा कि हिमाचल के पांचों सांसद भी मिलकर इस प्रदेश के लिए न तो कोई औद्योगिक पैकेज और न ही कोई आर्थिक पैकेज मंजूर करवा पाए हैं। यही नहीं हिमाचल के पांचों सांसद मोदी सरकार के इस अंतिम बजट में भी इस प्रदेश को कोई बड़ा तोहफा दिलवा पाने में नाकाम साबित हुए हैं।