Edited By Punjab Kesari, Updated: 06 Nov, 2017 12:14 AM
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सत्ता प्राप्ति के बाद अपने विजय रथ को हिमाचल की ओर मोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार को ही मुख्य हथियार बनाया है।
कुल्लू: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सत्ता प्राप्ति के बाद अपने विजय रथ को हिमाचल की ओर मोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार को ही मुख्य हथियार बनाया है। हिमाचल प्रदेश में 3 दिन के अपने ताबड़तोड़ प्रचार के दौरान मोदी ने वीरभद्र सिंह से संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों और नोटबंदी पर कांग्रेस के रवैये को लेकर तीखे प्रहार करके इस चुनावी लड़ाई को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केंद्रित करने में कामयाबी हासिल की है। मतदान में अब चंद दिन ही शेष बचे हैं और कांग्रेस अभी भी मोदी के इस वज्र का तोड़ तलाशने के लिए मशक्कत करती दिख रही है। उसके अकेले योद्धा के रूप में वीरभद्र सिंह ही चुनावी रण में डटे हुए हैं। बड़े केंद्रीय नेता अभी तक पूरी तरह प्रचार में नहीं उतर पाए हैं। उसके अधिकतर केंद्रीय नेता केवल प्रैस कान्फ्रैंसों तक ही सीमित रह गए हैं।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं को राहुल-नवजोत का इंतजार
रविवार को वीरभद्र सिंह के समधि और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने जरूर मोर्चा संभाला लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अभी भी राहुल गांधी और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे स्टार प्रचारकों का इंतजार है। नोटबंदी की सालगिरह पर 8 नवम्बर को आंदोलन के मंसूबे बना रही कांग्रेस के हमले को कुंद करने के लिए मोदी ने पहले ही आक्रामक रुख अपनाकर कांग्रेस को रक्षात्मक स्थिति में ला दिया है। रविवार को अपनी तीनों जनसभाओं के दौरान मोदी ने अपना संबोधन मुख्यत: नोटबंदी और भ्रष्टाचार पर ही फोकस करके हिमाचल के साथ-साथ गुजरात के चुनावी रण को फतह करने की बिसात बिछाई है। प्रधानमंत्री ने गांधी परिवार को भी लपेटकर कांग्रेस का मनोबल गिराने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री ने राजीव गांधी को भी लपेटे में लिया।
मोदी ने विपक्षी खेमे को डैमेज करने की बनाई रणनीति
मोदी ने हिमाचल में कांग्रेस के सेनापति वीरभद्र सिंह को ही टारगेट करके विपक्षी खेमे को डैमेज करने की रणनीति अपनाई हुई है। इसके अलावा भाजपा केंद्र और हिमाचल में अपनी सरकार के डबल इंजन का नारा देकर मतदाताओं को लुभाने की फि राक में है। बहरहाल, मोदी और भाजपा की इस घेराबंदी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस बाकी बचे दिनों में क्या रणनीति बनाती है यह देखना होगा। राहुल गांधी, सिद्धू और अन्य स्टार प्रचारक आखिरी वक्त में कितना डैमेज कंट्रोल कर पाते हैं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।