कंडक्टर भर्ती मामले में शिमला पुलिस को झटका, याचिका खारिज

Edited By Updated: 28 Feb, 2017 11:53 AM

conductor recruitment case in shimla police to shock petition dismissed

हिमाचल में वर्ष 2003-2004 में नियमों को ठेंगा दिखाकर हुई टी.एम.पी.ए. (कंडक्टरों) की भर्ती मामले में अब एच.आर.टी.सी. के तत्कालीन अफसरों पर....

शिमला: हिमाचल में वर्ष 2003-2004 में नियमों को ठेंगा दिखाकर हुई टी.एम.पी.ए. (कंडक्टरों) की भर्ती मामले में अब एच.आर.टी.सी. के तत्कालीन अफसरों पर पुलिस थाने में ही प्राथमिकी दर्ज होगी। इस सिलसिले में सोमवार को शिमला की नेहा शर्मा की कोर्ट ने पुलिस की दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने पुलिस की अर्जी को भी खारिज कर दिया। इसमें पुलिस ने कोर्ट से अपने आदेशों को रिव्यू करने का आग्रह किया था। शिमला पुलिस ने मामले को विजीलैंस को सौंपने की अर्जी दी थी। इससे पहले कोर्ट ने इसी महीने कंडक्टरों की भर्ती को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसमें एच.आर.टी.सी. के तत्कालीन प्रबंधन निदेशक दलजीत डोगरा समेत कई अफसरों को नामजद किया था। अभी तक इसमें प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पाई थी लेकिन अब विजीलैंस नहीं पुलिस ही तहकीकात करेगी। पहले 2 बार विजीलैंस जांच कर चुकी है। पंजाब केसरी ने इससे जुड़ी जांच एजैंसियों की दोनों गोपनीय रिपोर्टों को भी सिलसिलेवार प्रकाशित किया था। 


300 पदों के लिए करीब 20 हजार अभ्यर्थियों ने किए थे आवेदन
कोर्ट ने यह कार्यवाही बिलासपुर निवासी जय कुमार की याचिका पर की है। पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में टी.एम.पी.ए. की भर्ती में भारी धांधलियां की गई थीं। 300 पदों के लिए करीब 20 हजार अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे। इसमें से 14107 अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा दी थी। इसमें विज्ञापित पदों से अधिक 378 पदों पर सरकार के चहेतों के चयन का आरोप था। चयन के आदेश 20 सितंबर, 2004 को हुए थे लेकिन कथित मैरिट लिस्ट में चयन बोर्ड के किसी भी सदस्य के हस्ताक्षर नहीं थे। कोई भी वेटिंग लिस्ट तैयार नहीं की गई। जिन अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा में 20 या इससे अधिक अंक प्राप्त किए, उन्हें इंटरव्यू में 10 से भी कम अंक दिए गए जबकि जिन अभ्यर्थियों ने लिखित में 15 से भी कम अंक लिए, उन्हें इंटरव्यू में 16 से भी अधिक अंक प्रदान किए गए। 14,000 में से 378 को छोड़कर कोई भी 35 अंकों का जादुई आंकड़ा नहीं छू पाया। लिखित और इंटरव्यू के कुल 55 अंक रखे गए थे लेकिन चयनित अभ्यर्थियों के अलावा कोई भी 35 से आसपास नहीं पहुंचा। पूर्व भाजपा सरकार के 2012 में डी.एस.पी. रैंक के अफसर ने इस भर्ती की गहनता से जांच की।


कंडक्टरों की भर्ती में पाई गई धांधलियां
उन्होंने इसमें भारी धांधलियां पाईं। 19 जुलाई, 2012 को तैयार की गई इस गोपनीय रिपोर्ट में कंडक्टरों की भर्ती प्रक्रिया को दिखावा करार दिया गया है। जिन अभ्यर्थियों का अंतिम चयन हुआ, वे विज्ञापित पदों से मेल नहीं खा रहे हैं। यानी पद तो कम विज्ञापित किए थे और भर्ती ज्यादा की हुई। इसके लिए उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई। 200 प्वाइंट रोस्टर लागू नहीं हुआ। चयन के लिए कोई भी कम्बाइंड मैरिट लिस्ट नहीं बनाई गई। इसकी जगह डिवीजन वाइज कथित मैरिट लिस्ट तैयार की। इसमें किसी के भी हस्ताक्षर नहीं हैं। अथॉरिटी ने अपने चहेते भर्ती किए थे। 13 पात्र अभ्यर्थियों का पहले चयन नहीं हुआ। बाद में इन्हें भी अंतिम सूची में भर्ती कर लिया गया। जांच अधिकारी ने पूरी भर्ती पर गंभीर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने इस भर्ती को रद्द करने की सिफारिश की थी, साथ ही हिमाचल पथ परिवहन के जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की भी सिफारिश की थी। उधर, जिला पुलिस के अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से गुरेज कर रहे हैं। पुलिस का कहना है कि जब तक कोर्ट के आदेश नहीं पहुंचते हैं, तब तक कुछ भी नहीं कह पाएंगे।


मामले पर हाथ डालने से बच रही है 
पुलिस एच.आर.टी.सी. से जुड़े बी.एम.एस. के नेता शंकर ठाकुर का कहना है कि पुलिस पता नहीं क्यों मामले पर हाथ डालने से बच रही है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के ताजा आदेश के बाद अब जांच पुलिस को ही करनी होगी। इससे निगम के भ्रष्ट अफसरों की कलई पूरी तरह से खुल जाएगी। नामजद आरोपियों पर कड़ा कानूनी शिकंजा कस सकेगा। हम पहले से ही कह रहे थे कि भर्ती में धांधलियां हुई हैं।

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