Edited By Updated: 21 Feb, 2017 10:26 AM
पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने आरोप लगाया है कि...
शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने आरोप लगाया है कि वित्तीय कुप्रबंधन के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की तरफ से जुगाड़ पर राज्य सरकार को चलाने को लेकर दिए गए बयान पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि 45 से अधिक चेयरमैन-वाइस चेयरमैन की फौज से खजाने पर अरबों रुपए का बोझ पड़ा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में राज्य की राजस्व आय जो 30 करोड़ रुपए है, वह भाजपा शासनकाल में 4,000 करोड़ रुपए थी।
केंद्र सरकार को दोषी ठहराना गलत
नेता प्रतिपक्ष ने यहां जारी बयान में राज्य सरकार से जानना चाहा है कि सरकारी खर्च को कम करने के लिए गठित कमेटी का क्या हुआ? उन्होंने आरोप लगाया कि अपने वित्तीय कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के कारण वित्तीय हालत बिगड़ी है और इसके लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराना गलत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार ने विशेष श्रेणी के दर्जे को बहाल करके सभी केंद्रीय योजनाओं में 90 फीसदी का अनुदान दिया है और 10 फीसदी दीर्घकालीन खर्चे के रूप में मिलने से प्रदेश पर कोई आर्थिक दबाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की गलत नीतियों के कारण ही हिमाचल प्रदेश पर आज 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज बढ़ चुका है।
कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में भी चुकानी पड़ेगी इसकी कीमत
धूमल ने कांग्रेस सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि जब प्रदेश को जुगाड़ के सहारे ही चलाया जा रहा है तो झूठी घोषणाएं करके जनता को क्यों धोखे में रखा जा रहा है? उन्होंने कहा कि बिना बजट के की जा रहीं इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए धन कहां से आएगा, इसका किसी को पता नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि झूठी घोषणाओं और शिलान्यासों के कई जगह तो नींव के पत्थर भी नहीं रखे गए हैं। इसी तरह खोले गए संस्थानों में कर्मचारी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की झूठी घोषणाओं की पोल लोकसभा चुनाव में खुल चुकी है और अब इसकी कीमत कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में भी चुकानी पड़ेगी।