Cashless सिस्टम के साथ मंत्रों से गूंजा राजभवन

Edited By Updated: 10 Dec, 2016 03:10 PM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लिए गए नोटबंदी के निर्णय के बाद राज्यपाल आचार्य देवव्रत राजभवन को कैशलैस सिस्टम के तहत ढालने में सफल रहे।

शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से लिए गए नोटबंदी के निर्णय के बाद राज्यपाल आचार्य देवव्रत राजभवन को कैशलैस सिस्टम के तहत ढालने में सफल रहे। इसी तरह वैदिक परम्परा के अनुसार यज्ञ का आयोजन यहां की दिनचर्या का हिस्सा बन गया। राज्यपाल ने राजनीतिक दबाव से हटकर नई परम्परा की शुरूआत की और बहुचर्चित खेल एवं टी.सी.पी. विधेयक को अब तक अपनी मंजूरी नहीं दी। हालांकि अपनी इस कार्यशैली के कारण वह सियासी नेताओं के निशाने पर भी रहे। वी.वी.आई.पी. की चहलकदमी भी राजभवन में खूब हुई। महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के आगमन पर ऐट होम का आयोजन किया गया।


सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर भी शिमला आगमन के दौरान राजभवन में ठहरे। इसी तरह कई राज्य के राज्यपाल व मुख्यमंत्री के साथ अन्य सियासी नेताओं की चहलकदमी का क्रम जारी रहा। वर्ष 2016 के दौरान राज्यपाल ने केंद्र प्रायोजित कई कार्यक्रमों एवं योजनाओं पर स्वयं अमल किया। खुद गांवों में जाकर स्वच्छता अभियान छेड़ा और कैशलैस सिस्टम को राजभवन में अपनाने के बाद इसे विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में अपनाने की दिशा में प्रयास किया।


12 अगस्त, 2015 को कार्यभार संभालाने के बाद राज्यपाल ने मुख्य रूप से 4 विषयों नशामुक्ति, प्राकृतिक खेती व गौपालन, पर्यटन एवं जातिवाद को लेकर अपना अभियान जारी रखा। इसके लिए उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों से संवाद जारी रखा तथा विश्वविद्यालय एवं विभागीय स्तर पर जारी गतिविधियों की बराबर समीक्षा की। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर और बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी में पद्मश्री डा. सुभाष पालेकर को बुलाकर जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए कार्य किया। गौपालन के साथ बेसहारा पशुओं को आश्रय दिए जाने को लेकर भी जागरूकता अभियान चलाया। इस तरह राज्यपाल ने राजभवन के गलियारे से बाहर निकलकर शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र का रुख किया।


केंद्रीय नेताओं तक पहुंच बनाई
राज्यपाल आचार्य देवव्रत नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों से मिले। इस दौरान उन्होंने हिमाचल प्रदेश के लंबित मामलों को भी उठाया। उनके इस प्रयास को केंद्रीय नेताओं ने सराहा। इस तरह अपने कार्यकाल में राज्यपाल केंद्र से लेकर प्रदेश में सियासत में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे।


विश्वविद्यालयों को दी सीख
राज्यपाल ने सरकारी और निजी क्षेत्र में चल रहे विश्वविद्यालयों को बेहतर काम करने की सीख भी दी। इसके तहत काम करने के तरीके में पारदर्शिता लाने के लिए अधिकांश कार्य को कैशलैस करने पर बल दिया। उनकी इस पहल पर राज्य के कई विश्वविद्यालय कैशलैस सिस्टम की तरफ आगे बढ़ रहे हैं।

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