8 साल की उम्र में छिन गए थे दोनों हाथ, अब मिलेगा 90 लाख रुपए मुआवजा

Edited By Updated: 26 Apr, 2017 06:37 PM

both hands lost in the age of 8 years  now will get 90 lakh rupees compensation

12 वर्षीय रोहित ने विद्युत का करंट लगने से अपने दोनों बाजू खो दिए लेकिन हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई व जिंदगी जीने के संघर्ष को जारी रखा।

धर्मशाला (नृपजीत निप्पी): 12 वर्षीय रोहित ने विद्युत का करंट लगने से अपने दोनों बाजू खो दिए लेकिन हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई व जिंदगी जीने के संघर्ष को जारी रखा। लिखने के लिए रोहित ने मुंह को अपना हथियार बनाया और किताब के पन्ने पलटने के लिए अपनी छोटी बहन व दोस्तों का सहारा लिया। रोहित अब 8वीं कक्षा में पढ़ता है। रोहित जब हादसे का शिकार हुआ था तो उस वक्त वह मात्र 8 साल का था। उस घटना ने रोहित के दोनों बाजू छीन लिए और उसे दिव्यांग बना दिया। 

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खेतों में हुआ था हादसे का शिकार 
मामला 18 मार्च, 2012 का है जब रोहित की मां के खेतों में घास काटने गई थी और रोहित भी साथ में था। खतों में विद्युत विभाग की लापरवाही के कारण 11 हजार वोल्टेज की तार लटकी पड़ी थी। उस तार को रोहित ने अनजाने में पकड़ लिया जिससे उसके दोनों बाजू जल गए। इसके बाद रोहित को टांडा मैडीकल कालेज लाया गया। जब तक रोहित को इलाज मिल पाता तब तक उसके पूरे शरीर में जहर फैलने का खतरा पैदा हो गया था जिसे देखते हुए डाक्टरों ने रोहित की जान बचाने के लिए उसके दोनों बाजू काट दिए।

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विभाग को देना होगा 90 लाख रुपए मुआवजा
जिस समय रोहित के साथ हादसा हुआ उस समय विद्युत विभाग चम्बा के अधिकारियों ने उसके हाथों की कीमत 5 हजार रुपए लगाई और मुआवजा देने से इंकार कर दिया। इलाज के दौरान रोहित की मुलाकात हिमाचल बचाओ मंच के संस्थापक एस.एस. गुलेरिया से हुई। उन्होंने रोहित को मुआवजा दिलवाने के लिए मानवाधिकार दिल्ली का दरवाजा खटखटाया। उसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। 4 साल के कठिन संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रोहित के हाथों का मुआवजा 90 लाख रुपए विद्युत विभाग चम्बा को देने के आदेश दिए हैं। 

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रोहित को आर्टिफिशयल बाजू की आस
इसके अतिरिक्त मंच के पदाधिकारी अमेरिकन डाक्टरों से संपर्क में हैं और रोहित के लिए आर्टिफिशयल बाजू मंगवाए जा रहे हैं जिनकी सहायता से रोहित खुद अपना पूरा काम कर पाएगा। गुलेरिया ने बताया कि इस मामले को विभाग के अधिकारियों ने दबाने की पूरी कोशिश की थी और उल्टा केस चलाने की धमकी भी दी थी लेकिन रोहित को मिले मुआवजे से उन असहाय लोगों और बच्चों को भी न्याय मिलेगा जो इस प्रकार की दुर्घटनाओं के शिकार हुए हंै।

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चम्बा जिला का रहने वाला है रोहित
रोहित मूलत: चम्बा जिला के चुवाड़ी तहसील, भकडू गांव पंचयात कुंडणु का रहने वाला है। रोहित के पिता नरेंद्र मनरेगा में दिहाड़ी लगाते हैं और माता घर का काम संभालती है और रोहित की देखभाल करती है। रोहित का कहना है कि वह पढ़ाई करना चाहता है और वैज्ञानिक बनना चाहता है उसका पसंदीदा विषय गणित व अंग्रेजी है। उसने बताया कि पढ़ाई करने में उसकी बहन व दोस्त मदद करते हंै। फिर भी कपड़े पहनने व रोजमर्रा के काम करने में बहुत दिक्कत होती है।

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