Edited By Punjab Kesari, Updated: 10 Nov, 2017 07:26 PM
शिमला: क्या हिमाचल में कांग्रेस वर्ष 2012 के अपने प्रदर्शन को दोहराएगी या भाजपा सत्ता पर सवार होगी? हालांकि कांग्रेस अपने रैंक में बदलाव करने के लिए मिशन रिपीट का राग अलाप रही है। हालांकि दोनों भाजपा और कांग्रेस पार्टियों में से कोई भी वर्ष 1990 से...
शिमला: क्या हिमाचल में कांग्रेस वर्ष 2012 के अपने प्रदर्शन को दोहराएगी या भाजपा सत्ता पर सवार होगी? हालांकि कांग्रेस अपने रैंक में बदलाव करने के लिए मिशन रिपीट का राग अलाप रही है। हालांकि दोनों भाजपा और कांग्रेस पार्टियों में से कोई भी वर्ष 1990 से लेकर अब तक प्रदेश में दोबारा सत्ता पर काबित नहीं हुई है।
इन चुनाव में कांग्रेस ने हासिल की थी दोबारा सत्ता
गौरतलब है कि कांग्रेस ने वर्ष 1972 में और 1985 के चुनाव में दोबारा हिमाचल सत्ता की चाबी हासिल की थी, इसके बाद कोई भी पार्टी सत्ता रिपीट करने में कामयाब नहीं हो पाई।
भाजपा प्रदेश में आज तक नहीं हासिल कर पाई है पचास सीटें
दूसरी तरफ भाजपा हिमाचल में पचास सीटें हासिल करने का दावा कर रही है। पिछले आंकड़े बता रहे हैं कि भाजपा इससे पहले कभी भी पचास सीटें हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाई थी, कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 1958 और 1972 के चुनाव में 53 सीटें हासिल की, साथ ही 1993 के चुनाव में 52 सीटें जीतकर रिकार्ड बना डाला था। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने भी 53 सीटें जीतीं थीं।
कांग्रेस ने उपचुनाव में मुंह की खाई
पिछले पांच सालों में कांग्रेस पार्टी ने दो उपचुनाव सुजानपुर और भोरंज में हार का सामना किया है। जहां नगर निगम शिमला में भाजपा ने सत्ता हासिल की वहीं धर्मशाला में भी बड़े पद हासिल करने में पीछे नहीं रही है।
कांग्रेस लोकसभा चुनाव में चारों खाने चित
भाजपा ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कांगड़ा, मंडी, शिमला व हमीरपुर चारों सीटों पर चित कर दिया। हालांकि इस बारे में एक सीनियर लीडर ने सीटों का सही चयन न होने के कारण वोट बंटने की बात कही है।
चुनाव प्रचार अभियान में वीरभद्र अकेले पड़े
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार के सीएम वीरभद्र सिंह अकेले ही प्रचार करते हुए नजर आए। जहां भाजपा की तरफ से पूरी दिल्ली सरकार कैंपेनिंग करती हुई नजर आई। इसमें देश के पीएम वीरभद्र सिंह व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी गरजते हुए दिखे।