भितरघात पर कांग्रेस सख्त और BJP खामोश, 2019 के टारगेट पर है फोकस

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Feb, 2018 10:39 AM

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विधानसभा चुनाव में भितरघात और अन्य पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहे लोगों के खिलाफ कांग्रेस सख्त है तो दूसरी ओर भाजपा खामोश है। सत्तासीन भाजपा 2019 के टारगेट पर फोकस किए हुए है। विधानसभा चुनाव निपटने के बाद से लेकर कांग्रेस में भितरघातियों...

कुल्लू: विधानसभा चुनाव में भितरघात और अन्य पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहे लोगों के खिलाफ कांग्रेस सख्त है तो दूसरी ओर भाजपा खामोश है। सत्तासीन भाजपा 2019 के टारगेट पर फोकस किए हुए है। विधानसभा चुनाव निपटने के बाद से लेकर कांग्रेस में भितरघातियों को पार्टी से निष्कासित करने का सिलसिला जारी है। ब्लाक कांग्रेस कमेटियों की ओर से पारित निष्कासन के प्रस्तावों पर धड़ाधड़ मुहर लगाकर कइयों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। कुछ रोज पहले ही 3 दर्जन कांग्रेस नेताओं व पदाधिकारियों को पार्टी से 6-6 साल के लिए बाहर कर दिया गया। उधर, भाजपा में भी चुनाव के दौरान कइयों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप लगे थे।


भाजपा मंडलों की बैठकों में प्रत्याशियों और उनके खासमखास लोगों ने भी काली भेड़ों के प्रति आग उगली। इतना ही नहीं काली भेड़ों को पार्टी से निष्कासित करने के लिए प्रस्ताव भी पारित हुए और भाजपा के सत्तासीन होते हुए सब अचानक चुप हो गए। हालांकि इस बिंदु पर अब भाजपा के पदाधिकारी तर्क दे रहे हैं कि भाजपा मंडलों की ओर से किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई है। शिकायत आती है तो उस पर प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश कार्यकारिणी के अन्य लोग निर्णय लेते हैं। कांग्रेस में आपसी खींचतान के कारण आपाधापी मची हुई है। पहले ही चर्चा थी कि कांग्रेस इस बार विधानसभा चुनाव में अपनी हार तय मान चुकी है।


कांग्रेस को लेकर यह भी चर्चा थी कि कांग्रेस 2022 की तैयारी में लगी हुई है और अबकी बार जो भी हो रहा है कांग्रेस में उसका असर 2022 में देखने को मिलेगा। नेतृत्व परिवर्तन के साथ-साथ कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर भी भविष्य के लिए लड़ाई बढ़ती जा रही है। आपसी खींचतान का ही बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को खमियाजा भुगतना पड़ा है। कांग्रेस के दिग्गजों के हारने के बाद कांग्रेस की काफी फजीहत भी हुई। भाजपा जीत को लेकर आश्वस्त रही लेकिन कांग्रेस स्थिति को भांपते हुए पहले ही मैदान छोड़ दिया था। कांग्रेस के केंद्रीय नेता भी हिमाचल में चुनाव प्रचार से दूर ही रहे। अब कांग्रेस में लगातार निष्कासन की प्रक्रिया को गुटबंदी से जोड़कर भी देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस में अभी और काली भेड़ों को चिन्हित करने का क्रम जारी है। 


निष्कासन पर पूर्ण विराम की मुख्य वजह लोकसभा चुनाव
भाजपा में जहां-जहां प्रत्याशी हारे हुए हैं उन विधानसभा क्षेत्रों में पहले ही पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहे लोगों के खिलाफ आवाज उठी थी। अब भी ऐसे विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता कई नाम गिनाते हुए ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा नेतृत्व के जहन में 2019 चुनाव हैं और इसको लेकर तैयारियां चल रही हैं। भाजपा केंद्र में मिशन रिपीट के लिए प्रयासरत है और निष्कासन की प्रक्रिया पर पूर्ण विराम की भी यही मुख्य वजह मानी जा रही है। 

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