स्पीकर बने डा. राजीव बिंदल के बारे में पढ़िए कुछ खास बातें

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Jan, 2018 11:00 AM

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विधानसभा के स्पीकर बने डॉ. राजीव बिंदल ने अपने जीवनकाल में कई संघर्षों के बाद यह मुकाम हासिल किया है। वर्ष 1978 में जी.ए.एम.एस. की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने झारखंड के अति पिछड़े आदिवासी क्षेत्र में निष्काम सेवा की।

तपोवन (धर्मशाला) (सुरेन्द्र): विधानसभा के स्पीकर बने डॉ. राजीव बिंदल ने अपने जीवनकाल में कई संघर्षों के बाद यह मुकाम हासिल किया है। वर्ष 1978 में जी.ए.एम.एस. की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने झारखंड के अति पिछड़े आदिवासी क्षेत्र में निष्काम सेवा की। आर.एस.एस. के प्रचारक के रूप में वनवासी कल्याण आश्रम के मार्गदर्शन में अढ़ाई वर्ष तक झारखंड की नामक जनजाति के बीच पहुंचकर नि:शुल्क चिकित्सालय छात्रावास व अन्य सेवा प्रकल्प चलाकर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया। जब देश में आपात काल लगा तो 1975 में इसका विरोध करने पर हरियाणा की करनाल जेल में साढ़े 4 माह तक कारावास भी काटना पड़ा। बिंदल ने समाज सेवा की भावना से प्रेरित होकर हिमगिरी कल्याण आश्रम के नाम से संस्था का गठन कर निर्धन बच्चों की सेवा का अनुकरणीय कार्य किया है।


12 जनवरी 1955 को सोलन में जन्मे उनके पिता बाल मुकंद जाने-माने वैद्य, समाजसेवी व आयुर्वेदाचार्य थे। इसके साथ ही बाल मुकंद आर.एस.एस. के सोलन में पहले स्वयंसेवक भी थे। 1995 में बिंदल ने नगर परिषद का चुनाव लड़ा और वह नप के अध्यक्ष बने। वर्ष 2000 में वह सोलन से विधायक बने और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष का दायित्व भी संभाला। 3 बार सोलन से विधायक बनने के बाद उन्होंने 2012 और 2017 के चुनावों में नाहन से विजयी हुए। 2007 से 2012 तक वह स्वास्थ्य मंत्री भी रहे। उनकी पत्नी एम.एससी. बॉटनी गोल्ड मैडलिस्ट है। उनके पुत्र डा. विवेक बिंदल विख्यात रौबोटिक सर्जन जबकि पुत्रवधू ऊषा बिंदल मैडीकल कॉलेज में असिस्टैंट प्रोफैसर है। उनकी बेटी व दामाद रेडियोलोजी विषय के डाक्टर हैं।


पुस्तक के जरिए बताई मन की बात
स्पीकर ने अपने जीवन से जुड़े संस्मरणों के तौर पर संजोई गई पुस्तक यादें जारी की है। इसमें उन्होंने अपने मन की बात को रखा है। राजनीति जीवन से लेकर सामाजिक तौर पर काम करने, पार्टी से जुड़ाव और अन्य संस्मरणों को इसमें संजोया है। बिंदल ने आपातकालीन के दौरान कारावास का उल्लोख इस पुस्तक में किया। वह कहते हैं कि हमेशा ही समाज सेवा उनका सर्वोच्च ध्येय रहा है। अब स्पीकर की बड़ी जिम्मेदारी उन पर आई है तो वह सदन की उच्च परंपराओं और मूल्यों को बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। बिंदल कहते हैं कि हिमाचल विधानसभा का देश भर में सर्वोच्च स्थान है। 


 

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