Edited By Punjab Kesari, Updated: 25 Feb, 2018 07:05 PM
मांगों को मनवाने के लिए रेल रोकने की बातें हरियाणा से सुनने को मिलती थीं, पर अबकी मर्तबा इसकी हवा हिमाचल की तरफ भी बह निकली है।
हरिपुर: मांगों को मनवाने के लिए रेल रोकने की बातें हरियाणा से सुनने को मिलती थीं, पर अबकी मर्तबा इसकी हवा हिमाचल की तरफ भी बह निकली है। तभी तो गुलेर से धार-धंगड़ सड़क बनाने की लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर आज लोगों ने लुनसू रेलवे स्टेशन पर धावा बोल दिया और जमकर अपना रोष प्रकट किया। गुस्साए लोगों ने जोगिंद्रनगर से पठानकोट के बीच चलने वाली ट्रेन को रोककर नारेबाजी की। धार-धंगड़ के लोगों की पिछले लंबे समय से सड़क की मांग रही है, पर उसे हमेशा ही अनदेखा किया गया है, जिसके चलते रविवार को भारी संख्या में लोगों ने एकत्रित होकर अपनी आवाज बुलंद की। इस प्रदर्शन में हाथों में तख्तियां पकड़े महिलाएं भी भारी संख्या में शामिल हुईं। उधर, रेलवे थाना कांगड़ा से मिली जानकारी के अनुसार सूचना मिलते ही थाना प्रभारी के नेतृत्व में दल मौके पर पहुंच गया, पर जब दल मौके पर पहुंचा तो न तो वहां पर ट्रेन रुकी हुई थी और न ही प्रदर्शनकारी थे। थाना से मिली जानकारी के अनुसार लोगों ने 10 मिनट गाड़ी को रोककर विरोध जताया है।
आजादी के 70 साल बाद भी नहीं मिली कोई सुविधा
उपमंडल देहरा की ग्राम पंचायत धार एवं धंगड़ के लुनसू, चतरा, हाली बस्ती एवं मदराटा गांव के निवासियों ने एस.डी.एम. देहरा को गत दिनों समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा था। लोगों ने कहा कि देश को आजाद हुए 70 साल हो गए हैं लेकिन धार एवं धंगड़ पंचायतों में आज भी सड़क, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस क्षेत्र से कई लोग सुविधाओं के अभाव में यहां से पलायन कर चुके हैं। यहां पर घरों ने खंडहरों का रूप धारण कर लिया है। इन पंचायतों में जाने के लिए एकमात्र यातायात का साधन रेल ही है, वो भी साल के कुछ महीने बंद ही रहती है। जिन कुछ महीनों में ट्रेन चलती है तो उनमें से कुछ बंद रहती हैं और कुछ उनके स्टेशन लुनसू में रुकती ही नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार धारवासियों को जीवनयापन के लिए आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी के लिए 5 से 10 किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है। 10वीं की शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए लड़कियों को जंगली रास्तों से होकर पैदल हरिपुर या लंज जाना पड़ता है।
20 दिन के अंदर मांगें नहीं मानीं तो होगा आंदोलन
लोगों का कहना है कि उनके गांव में यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो वहां पर 108 या 102 एम्बुलैंस की सुविधा तो बड़ी दूर की बात है, बीमार व्यक्ति को पालकी के सहारे सड़क मार्ग तक पहुंचाने के लिए 4 आदमियों का इंतजाम करना पड़ता है। उनकी पंचायतों में कोई भी सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं है। राशन लाने के लिए भी उन्हें 15 किलोमीटर दूर पैदल जाना पड़ता है। इन लोगों का कहना है कि वे सरकार एवं अधिकारियों के चक्कर काट-काट कर थक चुके हैं, मगर उन्हें झूठे आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला है। गांववासियों ने कहा कि आज यह सांकेतिक प्रदर्शन किया गया है तथा 20 दिन के अंदर अगर उनकी समस्याओं का निदान नहीं किया जाता है तो उन्हें मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।