विश्व के प्राचीन प्रजातंत्र की नई कार्यकारिणी का ऐतिहासिक फैसला, पढ़ें एक क्लिक पर

Edited By Updated: 02 Dec, 2016 09:35 PM

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विश्व के प्राचीन प्रजातंत्र मलाणा गांव में प्रजातंत्र प्रणाली के लिए नए सदस्यों का चयन हुआ। कुल्लू जिला के भीतर स्थित मलाणा पंचायत में हर 6 वर्षों के बाद नई कार्यकारिणी का गठन किया जाता है।

मौहल: विश्व के प्राचीन प्रजातंत्र मलाणा गांव में प्रजातंत्र प्रणाली के लिए नए सदस्यों का चयन हुआ। कुल्लू जिला के भीतर स्थित मलाणा पंचायत में हर 6 वर्षों के बाद नई कार्यकारिणी का गठन किया जाता है। गत 29 नवम्बर को मलाणा प्रजातंत्र प्रणाली के प्रमुख जमलु देवता के कारदार ब्रेसतू और पुजार सुरजणू ने 6 साल पुरानी कार्यकारिणी को बदला। प्रजातंत्र प्रणाली के पूर्व सदस्य ध्यान सिंह और नवनिर्वाचित सदस्य शाडू आमरी ने बताया कि 30 नबम्वर को नई कार्यकारिणी की बैठक हुई। 

कैसे चलता है प्राचीन प्रजातंत्र का शासन
परंपरा के अनुसार देवता जमलू का कारदार मुखिया होता है। जमलू का पुजारी और रेणुका माता का पुजारी कारदार के सहयोगी होते हैं। जिनका पद हमेशा स्थायी रहता है। गांव में शासन व्यवस्था के लिए गांव से लगभग 8 सदस्यों को चुना जाता है जो हर कार्य करने के लिए निर्णय लेते हैं और देव नियमों के साथ-साथ पारंपरिक सिद्धातों को लागू करने के लिए कारदार का सहयोग करते हैं। इस निर्णायक संस्था को ज्येष्ठांग कहते हैं। जिसका मुखिया कारदार एवम पुजारी होता है। वर्तमान में मलाणा गांव के भीतर 500 से अधिक परिवार रहते हैं और जिनकी जनसंख्या 3100 से भी अधिक आंकी गई है।

कार्य के नियम
गांव में सरकार प्रशासन और संविधान के आदेशों को लागू करने से पहले ज्येष्ठांग नामक इस पंचायत में चर्चा होती है तथा सहमति के पश्चात ही यह नियम लागू किए जाते हैं। व्यक्ति समाज अथवा गांव की समस्या को ज्येष्ठांग के समक्ष पेश किया जाता है तदोपरांत समस्या का समाधान होता है। सभी निर्वाचित सदस्य अवेतनिक होते हैं और इन पर भी नियम लागू होते हैं जब तक वे ज्येष्ठांग के सदस्य हैं तब तक कुल्लू के बजौरा से बाहर नहीं जा सकते अर्थात वह 6 वर्षों तक इस ज्येष्ठांग में रहते हुए कुल्लू जिला से बाहर नहीं जा सकते जोकि एक पाम्परिक नियम है। 

मलाणा ज्येष्ठांग का पहला ऐतिहासिक फैसला
परम्परा अनुसार मलाणा गांव में शादी के लिए हमेशा बारात को रात के समय दुल्हन के घर जाना पड़ता था लेकिन गत 30 नवम्बर को ज्येष्ठांग की पहली बैठक में निर्णय लिया गया कि भविष्य में बारात रात के समय दुल्हन के घर नहीं जाएगी। अब हमेशा बारात दिन के समय में ही दुल्हन के घर जाएगी। अब तक की परम्परा अनुसार रात को बारात जाती थी और दुल्हन के घर के बाहर भोजन पानी की व्यवस्था होती थी। दुल्हन घर से बाहर आती थी और सभी बारातियों से मिलती बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेती थी। लोग श्रद्धा अनुसार दुल्हन को रुपए देते हैं। एक शादी में लगभग 1 लाख से अधिक रुपए इकट्ठे होते थे। काबिले जिक्र है कि शादी की परंपरा वही रहेगी लेकिन शादी वर्तमान में रात के बजाय दिन में की जाएगी। 

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