Edited By Punjab Kesari, Updated: 29 Nov, 2017 07:19 PM
यह सर्वविदित है कि फौजी सैनिक अपनी जिंदगी के आखिरी पल तक आखिर सैनिक ही रहता है। मतलब फौज के सेवाकाल के दौरान सैनिक का जीवन जिस तरह जोश से हरदम भरा रहता है, वैसे ही जोश उनके सेवानिवृत्त हो जाने पर भी बाद की चलती जिंदगी को सदैव प्रकाशमय बनाए रखता है।...
मुकेरिया: यह सर्वविदित है कि फौजी सैनिक अपनी जिंदगी के आखिरी पल तक आखिर सैनिक ही रहता है। मतलब फौज के सेवाकाल के दौरान सैनिक का जीवन जिस तरह जोश से हरदम भरा रहता है, वैसे ही जोश उनके सेवानिवृत्त हो जाने पर भी बाद की चलती जिंदगी को सदैव प्रकाशमय बनाए रखता है। ऐसी श्रेष्ठ विचारधारा को वर्तनमान में चरितार्थ किया है उपमंडल मुकेरियां के गांव लतीहपुर (भंगाला) के रिटायर्ड सूबेदार हरबंस सिंह भेला ने आज अपनी 73 वर्ष की उम्र में 3 हजार फुट की अधिक ऊंचाई से पैरा जंपिंग कर प्रत्येक किसी को दांतों तले उंगली दबाने को विवश कर दिया।
काबिले गौर रहे कि हरबंस सिंह भेला ने पैरा रैजीमेंट की प्लेटिनम जुबली के अवसर पर बिना किसी प्रैक्टिस के यह जंपिंग की है। बताया गया है कि इस पूर्व सैनिक ने फौज की नौकरी के दौरान सन् 1964 में पैरा जंपिंग कोर्स किया था और सेना की विशेष पैरा रेजिमेंट में प्रथम पैरा जंप किया था। यही नहीं वह वर्ष 1965 में पैरा रेजिमेंट से फिर अपनी सिग्नल यूनिट में वापिस लौट आए थे। वर्ष 1986 में वह सेवानिवृत्त होकर घर आ गए थे। इस मध्य हैरानीजनक तो यह है कि वर्ष 1964 के बाद उन्होंने आज तक बीते 52 वर्ष के समय दौरान कभी पैराजंपिंग नहीं की थी। बावजूद इसके जब उन्होंने अब पैरा रैजीमेंट की प्लेटिनम जुबली (1 अप्रैल 2016) के अवसर पर पैरा जंपिंग में भाग लेते हुए पूर्व की भांति अपना वही जोश, जुनून व जज्बा दिखाया तो प्रत्येक किसी ने उनके साहस को दूसरों हेतु प्रेरणादायक बताया।
हरबंस सिंह भेला के अनुसार उनकी इस सफलता के पीछे पत्नी उर्मिला भेला से मिला अथाह सहयोग ही बेमिसाल है। उन्होंने कहा है कि सैनिक रहती जिंदगी में सदैव सैनिक ही रहता है। मौके पर हरबंस सिंह भेला ने गांव लतीहपुर नजदीक भंगाला के गुरद्वारा में आज धार्मिक कार्यक्रम उपरांत अपनी 50 वर्षगांठ मनाई और नौजवानों को प्रेरणा देते हुए कहा कि नौजवानों को नशों से दूर रहकर देश की रक्षा करनी चाहिए।