इस शहर में नजर उतारने की है एक अनोखी परंपरा, पढ़ें पूरी खबर

Edited By Punjab Kesari, Updated: 31 Jul, 2017 04:32 PM

a unique tradition is to be seen in this city

जनजातीय लाहौल-स्पीति की स्पीति घाटी को अनूठे रिवाज और पुरानी परंपराओं...

कुल्लू : जनजातीय लाहौल-स्पीति की स्पीति घाटी को अनूठे रिवाज और पुरानी परंपराओं के लिए जाना जाता है क्योंकि यहां की परंपराओं की अपनी एक अलग ही विशेषता है जोकि हमें किसी दूसरे क्षेत्र में देखने को नहीं मिलतीं। स्पीति घाटी में एक पुरानी परंपरा आज भी कायम है जोकि यहां के लोगों के लिए नया नहीं है मगर बाहरी लोगों के लिए कौतूहल का विषय है। स्पीति घाटी में आज भी नजर उतारने की एक अनोखी परंपरा कायम है। नजर लगने को स्थानीय बोली में मीका कहा जाता है और यह माना जाता है कि नजर कई कारणों से लग जाती है जैसे किसी की तरक्की से जलन के कारण, किसी की अमीरी से जलन के कारण, किसी के परिवार की खुशहाली के कारण या किसी की अच्छी फसल को लेकर। स्पीति के किसी भी गांव में जब किसी के घर में किसी व्यक्तिपर नजर लगने का दोष लामाओं द्वारा बताया जाता था तो उस समय उपाय के तौर पर नजर उतारने की सलाह दी जाती थी और नजर उतारने की प्रक्रिया भी कुछ हट कर ही होती है।

परिवार के सदस्यों पर लगे नजर दोष का निवारण
नजर उतारने की इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए गांव में पहले किसी ऐसे शख्स को ढूंढा जाता है जोकि मसखरा बनने को तैयार हो, जिसमें मजाक करने का गुण हो और हर बात को अनोखे अंदाज में कहने की क्षमता हो। मसखरे के चयन के बाद उक्त परिवार के लोग मसखरा बनने वाले व्यक्ति से विनती करते हैं कि वह उनके परिवार के सदस्यों पर लगे नजर दोष का निवारण करने में सहायता करे। जब मसखरा मान जाता है तो सबसे पहले वह ऐसे-ऐसे वस्त्र धारण करता जिन्हें देखकर ही सबको हंसी आ जाए। उसके बाद मसखरा अपने चेहरे को काला या किसी अन्य रंग से रंग कर अपने साथ एक लकड़ी के फट्टे जिसे स्थानीय बोली में ताग यानी घोड़ा कहा जाता है, को एक रस्सी से बांध कर पूरे गांव का चक्कर लगाने निकल जाता है।

गांव के लोग मसखरे को देते हैं पैसा
मसखरा जब पूरे गांव का चक्कर लगाने के लिए निकलता है तो उसके साथ गांव के बच्चे और कुछ युवा भी चलते हैं ताकि मसखरे की बातों को और उसके द्वारा गांव में किए जाने वाले मजाक को सुनने का आनंद लिया जा सके। मसखरा इस दौरान गांव में मिलने वाले सभी लोगों से मिलता है और इस प्रक्रिया में गांव के अन्य लोग भी मसखरे की सहायता से अपने नजर दोष का निवारण कर लेते हैं क्योंकि इसके लिए गांव के लोग मसखरे को पैसा देते हैं और अपने परिवार की जमकर बुराई करने को कहते हैं तथा मसखरा भी पैसा लेने के बाद उक्त व्यक्ति और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की जमकर बुराई करता है लेकिन हंसी और मजाक से। जब कोई व्यक्ति मसखरे का स्वांग रचता है तो ऐसे में वह किसी का भी मजाक कर सकता है और लोग भी इस बात का बुरा न मान कर ठहाके लगाते हैं। स्पीति में ऐसी मान्यता है कि मसखरा जब किसी का मजाक उड़ाता है तो उक्त व्यक्ति पर हुए नजर दोष का निवारण हो जाता है।

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