Edited By Updated: 19 May, 2016 02:19 PM
कहते हैं कि जब आप में कुछ हासिल करने का हौसला होता है तो बड़ी-बड़ी मुश्किलें घुटने टेक देती है। ऐसा ही कुछ नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर...
हमीरपुर: कहते हैं कि जब आप में कुछ हासिल करने का हौसला होता है तो बड़ी-बड़ी मुश्किलें घुटने टेक देती है। ऐसा ही कुछ नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हमीरपुर के मेकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों ने 6 महीने तक रिसर्च कर महज 4 से 5 हजार रुपए में सस्ती और नई तकनीक की साइकिल बनाई है। इस तकनीक की मदद से लोग बिजली की बचत कर सकते हैं। बता दें कि ये साइकिल कुछ खास है। क्योंकि पैडल चलाकर इस साइकिल पर आप एक्सरसाइज तो कर ही सकेंगे, पानी का शुद्धिकरण और वॉशिंग मशीन का काम भी ले सकेंगे।
बताया जा रहा है कि साइकिल पर बैठकर 10 से 15 मिनट तक पैडल चलाने से करीब 7 लीटर पानी शुद्ध किया जा सकेगा। यह पूरी तकनीक साइकिल के पैडल पर निर्भर है। इसके अलावा ऐसे दिव्यांग जिनके हाथ काम नहीं करते इसका फायदा उठाकर कपड़े धो सकते हैं। टुल्लू पंप की तरह पानी लिफ्ट कर सकते हैं। इसके अलावा चाकू-छुरियां समेत सब्जी काटने के उपकरणों की धार को तेज किया जा सकता है।
ऐसे तैयार की साइकिल, मिली बड़ी कामयाबी
बताया जा रहा है कि इंजीनियरिंग के छात्रों ने मल्टी पर्पज पैडल पावर वाटर प्योरीफाई कम वॉशिंग मशीन प्रोजेक्ट को तैयार करने के लिए कबाड़ की दुकान से खराब साइकिल, रॉटरी बैन पंप, तीन रिवर्स ओसमोसिस मेंमब्रेन (आरओ किट), एक टब और प्लास्टिक पाइप खरीदी। इसके बाद सबसे पहले पानी पर ट्रायल किया। पानी के शुद्धिकरण होने के बाद वॉशिंग मशीन की तर्ज पर कपड़े धोने की तकनीक अपनाई।
इन छात्रों ने पूरा किया प्रोजैक्ट
मेकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र सुनील कुमार, रोहित पटियाल, गोबिंद काजी, विनय कुमार, सुनील चौहान का कहना है कि उन्होंने मेंटर डॉ. वरुण गोयल के नेतृत्व में इस प्रोजेक्ट को पूरा किया है। यह प्रोजेक्ट क्रंक रॉकर मेकेनिज्म सिद्धांत पर आधारित है। इसमें रोटरी मॉशन का प्रयोग किया गया है।